
इजरायल पर 7 अक्टूबर को हमास ने हमला कर 1400 लोगों को मार डाला था। इसके बाद इजरायल ने गाजा पट्टी पर हमले शुरू कर दिए। गाजा में 12 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और लाखों लोग इजरायल की बमबारी से प्रभावित हैं। इस लड़ाई की पूरी दुनिया और खासतौर से मिडिल ईस्ट में काफी ज्यादा चर्चा है। खाड़ी देशों में गाजा की स्थिति पर गुस्सा और इस मुद्दे पर चर्चा के लिए लगातार बैठकें हो रही हैं। ऐसे में इसका दूसरे कामों पर भी असर हो रहा है।
एक महीने से ज्यादा समय से चल रही इजरायल और हमास की जंग में गाजा पट्टी बुरी तरह तबाह हो चुकी है तो दुनिया के कई दूसरे देशों पर भी अप्रत्यक्ष तौर पर इस लड़ाई का असर हो रहा है। इसमें एक नाम पाकिस्तान का भी है। पाकिस्तान में आने वाला एक बड़ा निवेश इस जंग की वजह से फंस गया है। 70 अरब डॉलर की इस बड़ी रकम के फंस जाने से पाकिस्तान के हुक्मरानों की परेशानी बढ़ी हुई है। हालांकि पाकिस्तान को उम्मीद है कि देर से ही सही लेकिन पाकिस्तान को ये निवेश मिल जाएगा। पाकिस्तान की स्पेशल इन्वेस्टमेंट फेसीलिटेशन काउंसिल (एसआईएफसी) के नेशनल कॉर्डिनेटर डॉक्टर मोहम्मद जहांजेब का इस संबंध में बयान आया है। जहांजेब का कहना है कि गाजा युद्ध की वजह से पाकिस्तान में आने वाले 70 अरब डॉलर का निवेश में देरी होगी। मिडिल ईस्ट के देशों से पाकिस्तान में ये निवेश आना है।
डॉक्टर मुहम्मद जहांजेब खान ने मध्य पूर्वी देशों से पाकिस्तान में आने वाले निवेश में देरी पर चिंता व्यक्त करते हुए इसके लिए गाजा में चल रहे संघर्ष को जिम्मेदार ठगराया है। जहांजेब खान ने कहा है कि मध्य पूर्वी देशों ने अपना ध्यान गाजा के हालात पर केंद्रित किया हुआ है। ये खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) देशों से प्रस्तावित निवेश की समयसीमा को प्रभावित कर सकता है। जहांजेब ने बताया कि एसआईएफसी की स्थापना जीसीसी देशों की सिफारिश पर की गई थी। जिसका उद्देश्य निवेश प्रक्रियाओं को आसान बनाना था। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के साथ एक बैठक में उन्होंने एसआईएफसी की भूमिका के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि यह एक सहायक निकाय के रूप में कार्य करता है, जो विभिन्न मंत्रालयों को बैकअप देता है।
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