पाकिस्तान को भारत के खिलाफ संघर्ष में तुर्की और खासतौर से चीन से मदद मिलने की बात सामने आई है। हालांकि पाकिस्तान की सरकार इसे नकार रही है।
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा है कि पाकिस्तान के खिलाफ संघर्ष में उनके देश को कोई बाहरी सैन्य मदद नहीं मिली। आसिफ ने दावा किया कि पाक आर्मी ने भारत से लड़ाई अकेले और अपने दम पर लड़ी। भारत के साथ 7-10 मई तक हुए चार दिवसीय संघर्ष के दौरान पाकिस्तान को चीन और तुर्की से मदद मिलने के सवाल पर ये बात कही है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को दूसरे देशों से मदद मिलने के भारत के दावे बेबुनियाद हैं।
भारतीय सेना के अफसर राहुल आर सिंह ने खुलासा किया है कि भारत से संघर्ष के दौरान चीन ने पाकिस्तान को लाइव सैटेलाइट यानी रियल-टाइम सैटेलाइट इंटेलिजेंस इनपुट दिए थे। वहीं तुर्की ने इस्लामाबाद को लड़ाकू ड्रोन और तकनीकी मदद की थी। इस पर खिसियाए ख्वाजा आसिफ ने कहा कि ये बातें निराधार हैं। पाकिस्तान को मिला समर्थन राजनयिक था ना कि सैन्य तौर पर उनको मदद मिली।
हथियार खरीद और युद्ध में समर्थन अलग – ख्वाजा आसिफ ने जोर देकर कहा कि भारत से लड़ाई के दौरान सैन्य अभियान पूरी तरह से पाकिस्तानी आर्मी ने चलाया। पाकिस्तान ने सिर्फ अपने सहयोगियों से सिर्फ राजनयिक समर्थन स्वीकार किया। उन्होंने कहा कि किसी से हथियारों की खरीद को युद्ध में समर्थन कहना पूरी तरह गलत है।
ख्वाजा आसिफ ने कहा, ‘अगर हमने चीन से हथियार लिए तो क्या वह युद्ध में शामिल हो गया। हम अमेरिका से भी हथियार खरीदते हैं, क्या वह युद्ध में पार्टी बन जाता है। भारत के पास फ्रांस के राफेल जेट हैं तो हमारे पास फ्रांसीसी पनडुब्बियां हैं। ऐसे में फ्रांस को किस पक्ष का साथी माना जाएगा।
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भारतीय सेना के अफसर ने किया बड़ा खुलासा – भारतीय सेना के डिप्टी चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ (कैपेबिलिटी डेवलपमेंट एंड सस्टेनेंस) लेफ्टिनेंट जनरल राहुल आर सिंह ने एक कार्यक्रम में कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान को चीन और तुर्की से महत्वपूर्ण मदद मिली। सिंह ने खुलासा किया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान को हमारी महत्वपूर्ण सैन्य गतिविधियों की लाइव जानकारी मिल रही थी। यह जानकारी चीन से आ रही थी।
लेफ्टिनेंट जनरल राहुल आर सिंह ने बताया है कि तुर्की ने भी पाकिस्तान को ड्रोन और अन्य सहायता प्रदान की। तुर्की ने बायक्तर जैसे ड्रोन और प्रशिक्षित लोगों को युद्ध के दौरान पाकिस्तान को उपलब्ध कराया। इससे ये हुआ कि ऑपरेशन के दौरान भारत को तीन मोर्चों यानी पाकिस्तान, चीन और तुर्की से एक साथ निपटने की चुनौती का सामना करना पड़ा।
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