
आज 17 अप्रैल, शुक्रवार से पंचक का आरंभ हो रहा है। जो दोपहर 12:18 से लेकर 22 अप्रैल की दोपहर 1:18 तक पंचक रहने वाली है। पांच नक्षत्रों के मेल से जो योग बनता है, उसे पंचक कहते हैं। आज से लेकर आने वाले पांच दिनों तक जब चंद्रमा धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती से होकर गुज़रेगा तो वे पंचक कहलाएगा।
शुक्रवार से पंचक आरंभ हो रहा है इसलिए इसे ‘चोर पंचक’ कहा जाएगा। इस रोज़ यात्रा नहीं करनी चाहिए और कारोबार संबंधी हर काम को ध्यान से करना चाहिए। कोई बड़ा सौदा करना हो या पैसों का लेन-देन तो इस दौरान न करें अन्यथा धन हानि का खतरा बना रहता है।
राजमार्त्तण्ड ग्रंथ में कहा गया है, पंचक काल के दौरान किसी भी तरह की यात्रा नहीं करनी चाहिए। यदि बहुत जरुरी हो तो दक्षिण दिशा की तरफ न जाएं क्योंकि ये यम की दिशा मानी गई है। अत: दुर्घटना या परेशानी होने की आशंका बनी रहती है। अन्य किसी भी दिशा में जाया जा सकता है।
ज्योतिष विद्वान कहते हैं, पंचक के दौरान जब रेवती नक्षत्र चल रहा हो तो कोई भी शुभ काम नहीं करना चाहिए।
पंचक के उपाय
पंचक में अगर ईंधन इकट्ठा करना ज़रूरी हो तो आटे से बना तेल का पंचमुखी दीपक शिवालय में जलाएं उसके बाद ईंधन खरीदें।
पंचक काल में अगर दक्षिण दिशा की यात्रा करना अनिवार्य हो तो हनुमान मंदिर में पांच फल चढ़ाकर यात्रा कर सकते हैं।
अगर शादी के लिए लकड़ी का समान खरीदना जरूरी हो तो गायत्री हवन करवाकर लकड़ी का फर्नीचर खरीद सकते हैं।
शवदाह आवश्यक कार्य है परंतु पंचक होने पर शवदाह के समय पांच अलग पुतले बनाकर उन्हें भी अवश्य जलाएं।
मकान पर छत डलवाना अगर जरूरी हो तो मजदूरों को मिठाई खिलाने के पश्चात ही छत डलवाने का कार्य करें।
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