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मां-बाप को खुद पता नहीं होती हैं बेटी परवरिश में ये चीजें भी हैं जरूरी, आज ही नोट कर लें


हम सभी जानते हैं कि बेटियों की परवरिश बेटों से अलग होती है। पहले सोचा जाता था कि बेटी को शादी कर के दूसरे घर जाना है लेकिन अब परिस्थितियां बदल गई हैं। अब बेटियों की परवरिश भी उस तरह से की जाती है, जिस तरह से की जानी चाहिए। उन्‍हें वो सब करने की आजादी है जिस पर उनका हक है। आज आपको हर जगह लड़कियां दिख जाएंगी। यूपीएससी टॉपर से लेकर स्‍पोर्ट्स तक में लड़कियों का टैलेंट छाया हुआ है। हालांकि, मां-बाप पर आज भी बेटियों की परवरिश को लेकर दबाव बना रहता है। ऐसी कई बाते हैं जो शायद एक बेटी के मां-बाप को पता नहीं होती हैं।
हेल्‍थ पर देना है ज्‍यादा ध्‍यान – ​बेटी की परवरिश में आपको कई चीजों पर ध्‍यान देने की जरूरत है जिसमें उसकी सेहत भी शामिल है। एक औरत की सेहत को हमेशा नजरअंदाज कर दिया जाता है। यहां तक कि खुद उसकी मां तक उसकी सेहत को लेकर गंभीर नहीं होती है। बेटी को मासिक धर्म, सेक्‍स और विपरीत लिंग को लेकर शिक्षा देनी चाहिए। यह उसके भविष्‍य के लिए बहुत जरूरी है।
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प्राइवेसी भी चाहिए होती है – बेटी को कभी भी प्राइवेसी के बारे में नहीं सिखाया जाता, वो ये चीज खुद सीखती है। कपड़े बदलने के लिए अलग जगह, सैनिटरी पैड छिपाने के लिए जगह, ये प्राइवेसी वाली चीजें बेटी के अंदर अपने आप आ जाती हैं। इस मामले में आपको अपनी बेटी की मदद करनी चाहिए। इसमें उसे अकेले स्‍ट्रगल करने ना दें। पूरा परिवार मिलकर बेटी की प्राइवेसी का ध्‍यान रखे और इसमें उसकी मदद करे।
कोई उसकी बात सुने – बेटी आपकी प्रॉपर्टी नहीं है और ना ही आप उसके मालिक हैं। आप बस उसकी परवरिश करते हैं। उसकी अपनी सोच है जिसे परिवार में सुनना जरूरी है। उसकी शिक्षा की बात हो या फिर शादी की, उसे पूरा हक है कि वो अपना फैसला खुद ले और आप उसे उसमें सपोर्ट करें। सोसायटी में लड़कियों के कपड़ों को लेकर कुछ रूल्‍स सैट किए गए हैं। लेकिन आपको अपनी बेटी को अपनी मर्जी से कपड़े पहनने की आजादी देनी चाहिए ना कि सोसायटी के हिसाब से।
वो अपना काम खुद कर सकती है- आप अपनी बेटी को बहादुर बनाने पर काम करें। उसे बताएं कि उसे अपने आप को खुद प्रोटेक्‍ट करना है। उसे अपने काम खुद करने दें और अपने अनुभवों से सीखने का मौका दें। हर काम में उसकी मदद कर के उसे ये एहसास ना दिलाएं कि वो कमजोर है।
कुछ भी नहीं है मुश्किल – अगर लगन हो और कड़ी मेहनत की जाए तो कुछ भी पाना असंभव नहीं होता है। आपको भी अपनी बेटी को यही मंत्र सिखाना है। हम अपनी बेटियों को कुछ सीमाओं के अंदर बांध देते हैं कि कुछ काम लड़कों के लिए ही बने हैं। इस धारणा को बंद कर देना चाहिए। आज कोई भी काम ऐसा नहीं रह गया है जो जेंडर पर सीमित रह गया हो। आज तो लड़कियां भी अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर क्रिकेट खेलने लगी हैं। आप अपनी बेटी को भी सिखाएं कि वो मर्दो के बराबर हर काम कर सकती है।