
Perseid Meteor Shower: आसमान से जमीन पर बरसे सितारे, देखें दुनियाभर के नजारे…अगस्त के महीने में ऐस्ट्रोनॉमर्स के बीच Perseid Meteor Shower को लेकर उत्साह है। 17 जुलाई से शुरू हो चुकी यह बरसात 24 अगस्त तक जारी रहेगी लेकिन 13 अगस्त तक यह अपने चरम पर रही। इस दौरान दुनिया के कई हिस्सों में इसे देखा गया। Perseid किसी ऐस्टरॉइड नहीं बल्कि Comet यानी धूमकेतु Swift Tuttle से निकले उल्कापिंड हैं। ये खास उल्कापिंड बेहद चमकीले फायर बॉल जैसे होते हैं। इसलिए इन्हें देखा जाना आसान है।
ऐसे देखे जा सकते हैं टूटते तारे
Perseid को रात 2 बजे के बाद चांद की हल्की रोशनी में बेहतर तरीके से देखा जा सकता है। भारत में इन दिनों आसमान में बादल छाए रह सकते हैं जिसकी वजह से इसे देखना मुश्किल हो सकता है लेकिन चांद की रोशनी में यह मुमकिन हो सकता है। एक्सपर्ट्स बताते हैं कि अंधेरे में आधे घंटे तक सिर्फ आसमान की ओर देखने से आंखों इन्हें बेहतर देख सकती हैं। आसपास की रोशनी इसमें खलल डाल सकती है।
इस बार संख्या है कम
Perseid हर साल होने वाले सबसे अहम Meteor Shower में शुमार होता है। NASA के मुताबिक हर साल इस दौरान कई उल्कापिंड देखे जा सकते हैं लेकिन इस बार ऐसे वक्त में आ रहा है जब हर घंटे 60 की जगह सिर्फ 15-20 उल्कापिंड ही देखे जा सकते हैं।
ऐसे बनते हैं उल्कापिंड
उल्कापिंड ऐस्टरॉइड यानी स्पेस की चट्टान का हिस्सा होते हैं। किसी वजह से ऐस्टरॉइड के टूटने पर उनका छोटा सा टुकड़ा उनसे अलग हो जाता है जिसे उल्कापिंड यानी meteroid कहते हैं। जब ये उल्कापिंड धरती के करीब पहुंचते हैं तो वायुमंडल के संपर्क में आने के साथ ये जल उठते हैं और हमें दिखाई देती एक रोशनी जो Shooting Star यानी टूटते तारे की तरह लगती है लेकिन ये वाकई में तारे नहीं होते। इन्हें Meteor कहा जाता है और ढेर सारे उल्कापिंडों की बरसात को Meteor Shower कहते हैं।
बादलों ने फीका किया नजारा
भारत में कई जगहों पर बारिश का मौसम होने के कारण इन्हें साफ-साफ नहीं देखा सका। 13 अगस्त के बाद से अब इनकी संख्या कम होने लगेगी लेकिन रात के अंधेरे में सिर्फ चांद की रोशनी में हो सकता है कि फिर इन्हें देखा जा सके।
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