
अमेरिका के डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में काम करने वाले विदेशी पेशेवरों को ‘H-1B’ वीजा देने के लिए कंप्यूटरीकृत लॉटरी व्यवस्था को समाप्त कर इसके स्थान पर वेतन आधारित चयन प्रक्रिया अपनाने का प्रस्ताव दिया है। नई व्यवस्था के लिए एक अधिसूचना गुरुवार को फेडरल रजिस्टर में प्रकाशित की जा रही है।
गृह सुरक्षा विभाग (डीएचएस) ने बुधवार को कहा कि हितधारक, अधिसूचना पर 30 दिन के भीतर जवाब दे सकते हैं। डीएचएस की ओर से कहा गया कि कंप्यूटरीकृत लॉटरी की व्यवस्था को समाप्त करने से अमेरिकी कर्मचारियों के भत्तों पर पड़ने वाला दबाव कम होगा जो हर साल कम वेतन वाले ‘एच-1बी’ वीजा धारकों के आने से पड़ता है।
‘एच-1बी’ वीजा एक गैर प्रवासी वीजा है जो अमेरिकी कंपनियों को तकनीकी विधाओं में दक्ष विदेशी कमर्चारियों को नौकरियां देने की मंजूरी प्रदान करता है। बता दें कि एक शीर्ष अमेरिकी थिंक टैंक ने दावा किया है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एच-1बी और एल1 वीजाधारकों सहित कुशल विदेश कामगारों के प्रवेश को रोकने वाले कार्यकारी आदेश से अमेरिकी कंपनियों को करीब 100 अरब डॉलर का नुकसान हुआ।
ट्रंप ने 22 जून को एक कार्यकारी आदेश के जरिए नए एच-1बी और एल-1 वीजा जारी करने पर 31 दिसंबर 2020 तक रोक लगाई थी। ब्रुकिंग्स इंस्टीट्यूट द्वारा इस सप्ताह जारी रिपोर्ट में कहा गया कि इस आदेश से फॉर्च्यून 500 कंपनियों के मूल्यांकन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा और उन्हें 100 अरब डॉलर से अधिक का नुकसान उठाना पड़ा। एच-1बी वीजा भारतीय आईटी पेशेवरों के बीच काफी लोकप्रिय है और इस वीजा के जरिए सैद्धांतिक या तकनीकी विशेषज्ञता वाले विदेशी श्रमिकों को अमेरिकी कंपनियों में नियुक्त करने की अनुमति दी जाती है।
IndianZ Xpress NZ's first and only Hindi news website