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बांग्लादेश में प्रदर्शनकारियों का पाकिस्तान प्रेम, 1971 के युद्ध की पाक फौज को शर्मिंदा करने वाली मूर्ति को तोड़ा


बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार जाने के बाद लगातार हिंसा का भयावह दौर चल रहा है। सड़कों पर उतरे हजारों प्रदर्शनकारी लगातार अवामी लीग से जुड़ी पहचान वाली जगहों को निशाना बन रहे हैं। शेख मुजीब की मूर्ति पर हथौड़ा चलने के बाद 1971 के जंग की मूर्ति गिराई गई है।
बांग्लादेश में बीते कुछ समय से चल रही हिंसा और अराजकता के बीच देश में सत्ता बदल गई है। शेख हसीना के इस्तीफे और संसद भंग होने के बाद मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार बनी है। नई सरकार की ओर से हिंसा बंद करने की कई अपील भी हो चुकी हैं लेकिन देश में अराजकता रुकने का नाम नहीं ले रही है। बांग्लादेश के बनने की सबसे अहम घटनाओं में से एक पाकिस्तान की सेना के भारतीय फौज के सामने सरेंडर को दिखाने वाली एक मूर्ति को भी प्रदर्शनकारियों ने निशाना बनाते हुए तोड़ डाला है।
कांग्रेस के सांसद शशि थरूर ने अपने एक्स अकाउंट पर टूटी हुई मूर्ति की एक तस्वीर साझा की है, जिसमें 1971 के युद्ध के बाद पाकिस्तान के आत्मसमर्पण के क्षण को दर्शाया गया है। थरूर ने तस्वीर शेयर करते हुए लिखा कि कहा कि बांग्लादेश की आजादी के उपलक्ष्य में बनाई गई मूर्ति को भी ‘भारत विरोधी उपद्रवियों’ ने तोड़ डाला है।
शहीद स्मारक पर हमला निराशाजनक: थरूर – थरूर ने अपनी पोस्ट में लिखा, 1971 के शहीद स्मारक परिसर, मुजीबनगर में भारत विरोधी उपद्रवियों द्वारा नष्ट की गई मूर्तियों की ऐसी तस्वीरें देखकर दुख हुआ। कई स्थानों पर भारतीय सांस्कृतिक केंद्र, मंदिरों और हिंदू घरों पर अपमानजनक हमलों के बाद ये हमला हुआ है। कुछ आंदोलनकारियों का एजेंडा बिल्कुल स्पष्ट दिख रहा है। हालांकि कई जगहों पर मुस्लिम नागरिकों के सामने आकर अल्पसंख्यकों के घरों और पूजा स्थलों की रक्षा करने की खबरें भी आईं, जो राहत देती हैं। थरूर ने आगे कहा कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार को सभी नागरिकों की सुरक्षा और कानून-व्यवस्था बहाल करने के लिए तत्काल कदम उठाने चाहिए। भारत इस अशांत समय में बांग्लादेश के लोगों के साथ खड़ा है लेकिन अराजक और किसी के साथ ज्यादती को माफ नहीं किया जा सकता है।