जब क्रिकेट में पैसों की बौछार नहीं होती थी, न ही मौजूदा समय की तरह लग्जरी लाइफ थी, तब क्रिकेटरों की जिंदगी बदलने का काम रतन टाटा की कंपनियों ने किया। दो बार के विश्व विजेता युवराज सिंह और मौजूदा चीफ सिलेक्टर अजीत अगरकर सहित तमाम क्रिकेटर उनकी कंपनियों के एम्प्लॉई रहे, जिनका काम क्रिकेट खेलना था।
क्रिकेटर आज रणजी क्रिकेट भी खेल लेते हैं तो लाइफ बन जाती है। कम से कम उन्हें आर्थिक रूप से तो मुश्किल नहीं होती है। महंगी गाड़ी, लग्जरी घर और जबरदस्त लाइफस्टाइल जीते हैं, लेकिन हमेशा ऐसा नहीं रहा। एक वक्त था जब क्रिकेट में इतना पैसा नहीं था। क्रिकेटरों को भी नौकरी करनी पड़ी थी। किसी ने किसी कंपनी से एम्प्लॉई के रूप में जुड़े होते थे। विज्ञापन और बोर्ड से इतनी कमाई नहीं होती थी। आज जब रतन टाटा का निधन हो गया है तो क्रिकेट के सितारे शोक में डूबे हुए हैं। हर किसी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए अपना शोक जताया है।
उस समय रतन टाटा की कंपनी क्लब क्रिकेट में बड़ा दखल रखती थी। स्पोर्ट्स को पसंद करने वाले रतन टाटा का टाटा ग्रुप बड़ी रकम क्रिकेटरों पर खर्च करता था। हम सभी जानते हैं कि रतन टाटा की टाटा समूह के अंतर्गत कई कंपनियां हैं। ये कंपनियां भारतीय क्रिकेटरों को नौकरी, वित्तीय सहायता, खेल को आगे बढ़ाने और प्रोफेशनल करियर के मामले में खूब बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती रही हैं।
खेल प्रतिभाओं को परखने के लिए टाटा समूह की प्रतिबद्धता से खिलाड़ियों को लाभ हुआ है। कई प्रसिद्ध क्रिकेटर सीधे टाटा समूह की कंपनियों से जुड़े थे। उदाहरण के लिए फारुख इंजीनियर को टाटा मोटर्स ने समर्थन दिया, जबकि एयर इंडिया ने मोहिंदर अमरनाथ, संजय मांजरेकर, रॉबिन उथप्पा और वीवीएस लक्ष्मण जैसे खिलाड़ियों के करियर में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
इस बारे में उनकी मां ममता ने एक चैनल को बताया था- मयंक यादव पहले नॉनवेज अपनी डाइट में शामिल करते थे, लेकिन पिछले दो साल से उन्होंने पूरी डाइट बदलने का फैसला किया। वह अपनी डाइट में अब दाल, रोटी चावल और दूध को खासतौर पर शामिल करते हैं। जब इस बारे में पूछा गया कि ऐसा क्यों है तो उन्होंने बताया- मयंक ने बताया था कि नॉनवेज उनके शरीर को सूट नहीं करता है। –
उन्होंने आगे बताया- मयंक ने नॉनवेज छोड़ने का फैसला दो कारणों से किया था। पहला उसका मानना था कि नॉनवेज उसकी बॉडी को सूट नहीं करता है, जबकि दूसरा वह भगवान कृष्ण का भक्त है। यह भी एक वजह हो सकती है। हमने कभी नॉनवेज छोड़ने या खाने को लेकर कभी उस पर दबाव नहीं डाला। बाद में उसने कहा कि डाइट बदलने का प्रभाव अच्छा है।
उल्लेखनीय है कि गौतम गंभीर लखनऊ सुपर जायंट्स के मेंटॉर थे। दिल्ली की गलियों के फास्ट एंड फ्यूरियस मयंक यादव को टीम से जोड़ा। हालांकि, वह बाद में कोलकाता नाइटराइडर्स चले गए, लेकिन टीम ने मयंक को साथ रखा। जब मयंक के हाथ में गेंद आई तो उन्होंने डेब्यू मैच में विपक्षी टीम के होश उड़ा दिए। रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु के खिलाफ उन्होंने सीजन की सबसे तेज गेंद 156.7 kmph की रफ्तार से फेंकी थी।
टाटा समूह इंडियन एयरलाइंस तेज गेंदबाज जवागल श्रीनाथ, 2007 टी20 और 2011 विश्व कप के विजेता युवराज सिंह, स्पिन के दिग्गज हरभजन सिंह और जबरदस्त फील्डर मोहम्मद कैफ सहित कई खिलाड़ियों के लिए एक मंच बन गई। इसके अलावा मौजूदा चीफ सिलेक्टर अजीत अगरकर (टाटा स्टील) और रूसी सुरती (IHCL, या इंडियन होटल्स कंपनी लिमिटेड) जैसे क्रिकेटर भी टाटा इकोसिस्टम का हिस्सा रहे। वे नाम के एम्प्लॉई थे। उनका काम कंपनियों के लिए क्रिकेट खेलना ही था। इसके लिए उन्हें अच्छे पैसे मिलते हैं।
हाल-फिलहाल में शार्दुल ठाकुर (टाटा पावर) और जयंत यादव (एयर इंडिया) जैसे खिलाड़ियों को टाटा समूह के क्रिकेट वेंचर से जुड़े हुए हैं। मौका मिलने पर महान सचिन तेंदुलकर और लिटिल मास्टर सुनील गावस्कर अक्सर टाटा से मिलते रहे हैं। उनकी क्रिकेट में दिलचस्पी का सबसे बड़ा उदाहरण आईपीएल की स्पॉन्सरशिप भी हो सकती है। फिलहाल क्रिकेट की सबसे बड़ी लीग आईपीएल की स्पॉन्सरशिप टाटा के पास ही है।
Home / Sports / रतन टाटा ने इन क्रिकेटरों की बदल दी किस्मत, युवराज सिंह से अजीत अगरकर तक को दी ‘नौकरी’