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12 साल की उम्र में सड़क हादसा, रीढ़ की हड्डी में चोट, पैरालंपिक में लिखेगी सफलता की कहानी


पूछा जाए कि एक ही ओलंपिक में दो मेडल जीतने वाली पहली एथलीट कौन हैं तो शायद आप मनु भाकर का नाम लेंगे, जिन्होंने हाल ही में खत्म हुए पेरिस ओलंपिक में ये कमाल किया था। लेकिन अगर मैं आपसे कहूं कि ये जवाब गलत है तो चौंकिएगा मत! क्योंकि एक ही ओलंपिक में दो पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला एथलीट मनु नहीं बल्कि अवनी लेखरा है। अवनी ने तोक्यो में खेले गए पिछले पैरालंपिक खेलों में गोल्ड और ब्रॉन्ज मेडल पर निशाना साधा था। भारत की यह युवा पैराशूटर अब पेरिस पैरालंपिक खेलों में भी पोडियम फिनिश करने के लिए बेकररा है।
बचपन में हुआ था सड़क हादसा – अवनी लेखरा भारतीय खेल जगत में चमकता हुआ सितारा हैं, जिन्होंने अपनी मेहनत, साहस और समर्पण के बूते न सिर्फ अपनी किस्मत बदली बल्कि लाखों लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत बन गईं। 8 नवंबर 2001 को राजस्थान की राजधानी जयपुर में पैदा हुईं अवनी लेखरा जब 12 साल की थीं तब उनकी जिंदगी पूरी तरह बदल गई। एक कार दुर्घटना में उनकी रीढ़ की हड्डी में गंभीर चोट लगी, जिससे उन्हें लकवा मार गया। वह हमेशा-हमेशा के लिए व्हिलचेयर पर आ गईं। कच्ची उम्र में हुए इस हादसे ने उन्हें तोड़कर रख दिया था, लेकिन अवनी ने इसे चैलेंज की तरह लिया।
ऐसे रचा तोक्यो पैरालंपिक में इतिहास – अवनी ने बीजिंग ओलंपिक में भारतीय खेल इतिहास में पहला गोल्ड मेडल जीतने वाले खिलाड़ी बने अभिनव बिंद्रा से प्रेरणा ली। अपनी मां और कोच की सहायता से इस खेल में कदम रखा। जल्द ही उन्होंने अपने हुनर को निखारना शुरू किया और 2015 में पहली बार नेशनल चैंपियनशिप में हिस्सा लिया। मेहनत और दृढ़ संकल्प के बूते वह 2020 तोक्यो पैरालंपिक में खेली और महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल SH1 इवेंट में गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया। इसके साथ ही उन्होंने 50 मीटर राइफल थ्री पोजिशन SH1 इवेंट में ब्रॉन्ज मेडल भी जीता। पैरालंपिक खेलों के इतिहास में शूटिंग गोल्ड जीतने वाली वह पहली भारतीय थीं।