
चीन के राष्ट्रगान (Chinese national anthem Bill) को लेकर हांगकांग (Hong Kong anti government protests) एक बार फिर सुलगने लगा है। हांगकांग की संसद में चीनी राष्ट्रगान (Chinese national anthem) के अपमान को अपराध घोषित करने वाले बिल को लेकर जबरदस्त बवाल हुआ। संसद के सुरक्षाकर्मियों ने लोकतंत्र समर्थक सासंदों (pro-democracy lawmakers) के साथ धक्कामुक्की की और उन्हें जबरदस्ती बाहर निकाल दिया।
लोकतंत्र समर्थक नेताओं को निकालते गार्ड
हांगकांग में चीन के राष्ट्रगान को लेकर विधान परिषद में पेश किए एक विधेयक पर जमकर बवाव हुआ। परिषद में चर्चा के दौरान लोकतंत्र समर्थक सांसदों ने इस बिल का विरोध किया। जिसके बाद लोकतंत्र समर्थक कई सांसदों को जबरन परिषद की कार्यवाही से बाहर निकाला गया। बता दें कि इस विधेयक के पास होने के बाद हांगकांग में चीनी राष्ट्रगान का अनादर करना अपराध की श्रेणी में आ जाएगा।
क्यों हुआ हंगामा
हांगकांग की विधान परिषद में इस बात को लेकर चर्चा चल रही थी कि हाउस कमेटी को किसे चलाना चाहिए। बता दें कि हाउस कमेटी ही हांगकांग की विधान परिषद में प्रस्तुत होने वाले बिलों की स्क्रूटनी करती है। साथ में, इस बात पर भी निर्णय लेती है कि विधेयक पर वोटिंग कब होगी।
हांगकांग में बीजिंग समर्थक नेताओं का दबदबा
हांगकांग में बीजिंग समर्थक नेताओं का दबदबा बढ़ता ही जा रहा है। कुछ दिनों पहले विधान परिषद अध्यक्ष ने नए नेता के चुनाव प्रक्रिया की देखरेख के लिए बीजिंग समर्थक सांसद चान किन-पोर को नियुक्त किया था। सोमवार विधान परिषद की कार्यवाही शुरू होने से पहले चान अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठे हुए थे, जिन्हें 20 से ज्यादा सुरक्षाकर्मियों ने घेर रखा था।
लोकतंत्र समर्थक सांसदों से मारपीट
कार्यवाही में हिस्सा लेने के लिए जब लोकतंत्र समर्थक सांसदों ने विधान परिषद में घुसने की कोशिश की तो उन्हें पहले से तैनात गार्ड्स ने रोक दिया। जब सांसदों ने विरोध किया तब उनके साथ हाथापाई की गई। सभी विरोधी सांसदों को इस विवादित विधेयक को पास करने के लिए संसद से जबरदस्ती निकाल दिया गया। इस दौरान कई सांसदों को चोट भी आई।
हांगकांग में चीनी प्रशासन का विरोध
हांगकांग चीन का एक विशेष प्रशासनिक क्षेत्र है। जहां आजादी की मांग को लेकर लाखों संख्या में पहले भी लोगों ने प्रदर्शन किया था। हालांकि चीनी फौज और हांगकांग की चीन समर्थित सरकार ने महीने भर से ज्यादा समय तक चले इस आंदोलन को हिंसक तरीके से कुचल दिया। इस दौरान हुई झड़पों में बड़ी संख्या में लोगों की मौत भी हुई थी।
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