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सार्क, कालापानी… नक्‍शा व‍िवाद के बाद अब नेपाली प्रधानमंत्री ने पीएम मोदी से उठाए व‍िवादित मुद्दे, ओली का डर?


काठमांडू | भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में हिस्‍सा लेने पहुंचे नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्‍प कमल दहल प्रचंड ने अपने दिल्‍ली प्रवास के दौरान विवादित मुद्दों को फिर से उठाया है। नेपाल के विवादित नक्‍शे वाले 100 रुपये के नोट के बाद अब प्रचंड ने पीएम मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर से कालापानी सीमा विवाद को सुलझाने और सार्क को फिर से आगे बढ़ाने के लिए कहा है। पाकिस्‍तान की आतंकी चाल को देखते हुए भारत ने सार्क को किनारे कर दिया है जो नेपाल को रास नहीं आ रहा है। नेपाल में ही सार्क का मुख्‍यालय है और पाकिस्‍तान लगातार दबाव डाल रहा है कि इस दक्षिण एशियाई संगठन को फिर से आगे बढ़ाया जाए।
प्रचंड ने नेपाली मीडिया से बातचीत में कहा कि उन्‍होंने भारतीय प्रधानमंत्री मोदी से दोनों देशों के बीच बने द्विपक्षीय तंत्र के जरिए विवादित मुद्दों को सुलझाने के लिए अनुरोध किया है। प्रचंड और पीएम मोदी के बीच राष्‍ट्रपति भवन में बातचीत हुई थी। प्रचंड ने कहा, ‘पीएम मोदी के साथ मुलाकात के दौरान मैंने दोनों सरकार के बीच हुए गत वर्ष जून में हुए समझौतों को क्रियान्वित करने का आह्वान किया। मैंने भारतीय व‍िदेश मंत्री से भी बात की और कहा कि सीमा विवाद को सुलझाने के लिए सीमा तंत्र को सक्रिय करने की जरूरत है। साथ ही सार्क का भी मुद्दा उठाया। मुझे उम्‍मीद है कि वर्तमान तंत्र के जरिए इन मुद्दों पर बातचीत आगे बढ़ेगी।’
केपी ओली के डर से बोल रहे प्रचंड? – प्रचंड ने यह भी उम्‍मीद जताई कि पंचेश्‍वर प्रॉजेक्‍ट भी आगे बढ़ेगा। इस प्रॉजेक्‍ट को 3 दशक से पहले बनाया गया था जो महाकाली नदी पर बनाया जाएगा जो दोनों देशों की सीमा पर होगा। इससे बिजली पैदा होगी और सिंचाई के लिए पानी मिल सकेगा। इतना समय बीत जाने के बाद भी अभी तक नेपाल और भारत के बीच सहमति नहीं बन पाई है। इसकी वजह यह है कि दोनों देश प्रॉजेक्‍ट के खर्च और फायदों को साझा करने पर सहमत नहीं हो पा रहे हैं।
नेपाली पीएम प्रचंड ने यह सीमा और सार्क का मुद्दा तब उठाया है जब हाल ही में नेपाल के व‍िवादित नक्‍शे को लेकर विवाद काफी बढ़ गया था। व‍िश्‍लेषकों का कहना है कि केपी ओली का समर्थन हासिल करने के लिए प्रचंड ने 100 रुपये के नोट पर विवाद‍ित नक्‍शे को छापने की मंजूरी दी थी। इस नक्‍शे को केपी ओली ने ही संसद से पारित कराया था और वह दबाव डाल रहे थे कि इसे सरकारी दस्‍तावेजों में इस्‍तेमाल किया जाए। प्रचंड की सरकार अभी ओली के समर्थन से ही चल रही है। ओली भारत के खिलाफ अक्‍सर जहर उगलते रहते हैं और वह जब प्रधानमंत्री थे तो चीन के इशारे पर भारत से कालापानी सीमा विवाद का मुद्दा उठाया था।