
पाकिस्तान के साथ मिलकर तुर्की इस्लामी मुल्कों का नया आका बनने की कोशिश में जुटा हुआ है जिससे सऊदी अरब भड़का हुआ है। तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन के बयान से भड़के सऊदी अरब ने अपने नागरिकों से तुर्की की हर चीज का बहिष्कार करने की अपील की है। तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन ने हाल में ही संयुक्त राष्ट्र के मंच से भी सऊदी और उसके पड़ोसी देशों पर निशाना साधा था। एर्दोगन ने आरोप लगाया था कि खाड़ी के कुछ देश तुर्की को अस्थिर करने की साजिश रच रहे हैं।
सऊदी अरब के चैंबर ऑफ कॉमर्स के प्रमुख अजलान अल अजलान ने लोगों से अपील करते हुए कहा कि हमारी लीडरशिप के खिलाफ तुर्की सरकार की निरंतर शत्रुता के जवाब में हर सऊदी – व्यापारी और उपभोक्ता की जिम्मेदारी है कि वे तुर्की का हर चीज का बहिष्कार करें। चाहें वह आयात, निवेश या पर्यटन के स्तर पर क्यों न हो। तुर्की के राष्ट्रपति ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में खाड़ी देशों पर आरोप लगाते हुए कहा था कि वे तुर्की को अस्थिर करने के लिए चाल चल रहे हैं। उन्होंने तंज कसते हुए कहा था कि यह नहीं भूलना चाहिए कि जो देश सवालों से घिरे हुए हैं उनका कल कोई अस्तित्व नहीं था और शायद आने वाले दिनों में भी वे मौजूद न हों। लेकिन, हम अल्लाह की अनुमति से इस क्षेत्र में अपना झंडा हमेशा के लिए फहराते रहेंगे।
2018 में इस्तांबुल में सऊदी अरब के दूतावास में पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या के बाद से भी दोनों देशों में संबंध तनावपूर्ण हो गए थे। एर्दोगन ने कहा था कि खशोगी की हत्या करने का आदेश सऊदी सरकार के उच्चतम स्तरों से आया। लेकिन, उन्होंने कभी भी सीधे तौर पर क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान को दोषी नहीं ठहराया। हालांकि, कई हलकों में सऊदी क्राउन प्रिंस का नाम जरूर लिया गया। कुछ दिन पहले ही बंद कमरे में हुई सुनवाई के बाद सऊदी अरब की अदालत ने खशोगी हत्याकांड के पांच दोषियों की फांसी की सजा को पलट दिया था। कोर्ट ने इन्हें 20-20 साल के कारावास की सजा सुनाई थी। तब यह दलील दी गई थी कि खशोगी के बेटे ने इन दोषियों को माफ कर दिया है। इसके बदले उन्हें सऊदी सरकार ने मोटा मुआवजा दिया था।
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