Wednesday , August 6 2025 2:31 AM
Home / News / इजरायल पर भड़के सऊदी प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान, मान्यता देने के सवाल पर दिया बड़ा बयान, फिलिस्तीन का किया जिक्र

इजरायल पर भड़के सऊदी प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान, मान्यता देने के सवाल पर दिया बड़ा बयान, फिलिस्तीन का किया जिक्र


सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने इजरायल के साथ संबंधों को लेकर बड़ा बयान दिया है। प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने बताया है कि इजरायल को सऊदी मान्यता कब देगा। उन्होंने कहा कि जब तक स्वतंत्र फिलिस्तीन की स्थापना नहीं होती, तब तक इजरायल को मान्यता नहीं मिलेगी।
सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने एक बार फिर फिलिस्तीन की आजादी की बात कही है। सऊदी प्रिंस ने कहा कि स्वतंत्र फिलिस्तीनी देश के बिना सऊदी अरब इजरायल को मान्यता नहीं देगा। बुधवार को एक भाषण में उन्होंने फिलिस्तीनी लोगों के खिलाफ इजरायली कब्जे की निंदा की। सऊदी क्राउन प्रिंस को एमबीएस के नाम से जाना जाता है। उन्होंने कहा, ‘सऊदी किंगडम एक स्वतंत्र फिलिस्तीन, जिसकी राजधानी पूर्वी यरूशलम होगी, की स्थापना के बिना अपना प्रयास नहीं रोकेगा।’
एमबीएस ने कहा, ‘हम इस बात की पुष्टि करते हैं कि किंगडम इसके बिना इजरायल के साथ संबंध स्थापित नहीं करेगा।’ पिछले साल 7 अक्टूबर को हमास ने इजरायल पर हमला किया था। हमले से ठीक पहले इजरायल और सऊदी अरब के संबंधों को अमेरिका सामान्य बनाने में लगा था। लेकिन हमले के कारण इस योजना को बड़ा झटका लगा। इजरायल के करीब जाना सऊदी अरब की पॉलिसी में बड़े बदलाव के तौर पर देखा गया।
इजरायल-सऊदी आ रहे थे करीब – इजरायल-हमास युद्ध शुरू होने से कुछ सप्ताह पहले प्रिंस सलमान ने संकेत दिया था कि सऊदी अरब इजरायल के साथ एक समझौते के करीब पहुंच रहा है। इजरायल और सऊदी के संबंधों को ठीक करने के पीछे अमेरिका था। सऊदी की शर्त थी कि इजरायल के साथ संबंध सामान्य करने के बदले अमेरिका उसके साथ रक्षा समझौता करे। बुधवार की टिप्पणी प्रिंस ने अपने पिता किंग सलमान की ओर से शूरा काउंसिल में अपने वार्षिक संबोधन के दौरान की है। परिषद ने पहले एमबीएस के सामने पद की शपथ ली थी।
सऊदी प्रिंस MBS की जान खतरे में, खुद बताया कब होगी हत्या की कोशिश
फिलिस्तीन को लेकर यूएन में प्रस्ताव – बुधवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा में फिलिस्तीन को लेकर एक प्रस्ताव पर मतदान हुआ। इसमें मांग की गई कि इजराइल कब्जे वाले फलस्तीनी क्षेत्र में अपनी अवैध मौजूदगी को 12 महीने के अंदर ‘बिना किसी देरी’ के हटाये। 193 सदस्यों वाली महासभा ने प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया। भारत ने इसमें वोट नहीं दिया। प्रस्ताव का 124 देशों ने समर्थन किया। 14 ने विरोध वहीं 43 ने मतदान नहीं किया। ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, जर्मनी, इटली, नेपाल, यूक्रेन और ब्रिटेन ने भी इसमें मतदान नहीं किया। इजरायल और अमेरिका प्रस्ताव के खिलाफ आए।