
अंतरिक्ष में घूमने वाले स्पेस ऑब्जेक्ट्स अपनी जगह बदलते तो देखे जा सकते हैं, ऐसा कभी-कभार होता है जब उनकी सूरत ही बदली दिखे। अब एक शक्तिशाली टेलिस्कोप की मदद से ऐसा नजारा देखा गया है। NASA के हबल टेलिस्कोप की मदद से शनि ग्रह पर बदलते हुए मौसम देखे गए हैं। इसकी रंगत में आए बदलाव के आधार पर 2018-2020 के बीच बदलते हुए मौसमों को समझा गया है।
NASA के गॉडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर की प्लैनेटरी साइंटिस्ट एमी साइमन का कहना है कि उन्हें जो दिखा है वह शायद बादलों की ऊंचाई में अंतर और हवाओं की वजह से है। उनके मुताबिक ये बदलाव ज्यादा बड़े नहीं हैं क्योंकि शनि के एक साल के एक हिस्से पर ही नजर रखी जा रही है। हबल के डेटा के मुताबिक 2018-2020 के बीच उसका ईक्वेटर 5-10 प्रतिशत ज्यादा चमकीला रहा और इसकी हवाओं में भी कुछ बदलाव आया।
क्रिसमस ट्री के पास कैलिफोर्निया के कार्डिफ स्टेट बीच पर खड़े लोग इस दुर्लभ घटना के गवाह बने। माना जाता है कि 2000 साल पहले इसी संयोग से तेज रोशनी पैदा हुई थी जिसे आज बेथलेहम स्टार या क्रिसमस स्टार कहा जाता है ( तस्वीर: REUTERS/Mike Blake)
तड़क-भड़क के लिए मशहूर नेवाडा के लास वेगस में भी जब SRAT होटेल, कसीनो, स्काईपॉड के पीछे से झांकता क्रिसमस स्टार दिखा तो उसकी चमक अलग ही पता चली। (फोटो: Ethan Miller/AFP)
नॉर्थ कैरोलिना में चैपल हिल के पास जॉर्डन लेक के ऊपर दोनों ग्रह इस तरह एक होते दिखे जैसे किसी कलाकार की तस्वीर आखिरकार पूरी हो गई हो।(Bill Ingalls/NASA via AP)
साल 2004-2009 के बीच NASA के कसीनी स्पेसक्राफ्ट ने ईक्वेटर में 1300 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार पर हवाएं दर्ज की थीं लेकिन साल 2018 में ये 1600 किमी प्रतिघंटे पर पहुंचीं और 2019-2020 में वापस पुरानी गति पर पाई गईं।
सौर ऊर्जा के साथ बदलाव : शनि सूरज का चक्कर 1.4 अरब किमी की दूरी से काटता है। यह सूरज का एक चक्कर धरती के 29 साल के बराबर समय में काटता है जिसकी वजह से यहां हर मौसम धरती के सात सालों के बराबर चलता है। धरती की तरह ही शनि भी एक ऐंगल पर सूरज का चक्कर काटता है जिससे इसके हर गोलार्ध को अलग-अलग मात्रा में सूरज की रोशनी मिलती है। इसके साथ सौर ऊर्जा के असर से वायुमंडल में बदलाव होते हैं।
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