
चीन में प्रत्यर्पण संबंधी विवादास्पद विधेयक को लेकर हिंसक प्रदर्शनों का सामना कर रहे हांगकांग पर बृहस्पतिवार को अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ रहा है। इस विवादास्पद विधेयक के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों ने बुधवार को हांगकांग की संसद में जबरन घुसने की कोशिश की थी। इस पर पुलिस ने उन्हें रोकने का प्रयास किया, जिससे दोनों पक्षों के बीच हिंसक झड़पें हुईं।
पुलिस ने काले कपड़े पहने प्रदर्शनकारियों की भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस का इस्तेमाल किया, रबर की गोलियां दागीं और लाठीचार्ज भी किया। विधेयक को लेकर आलोचना करने वालों में यूरोपीय संघ भी शामिल हो गया है। उसने कहा कि ईयू भी ‘‘सरकार के प्रस्तावित प्रत्यर्पण सुधारों के संबंध में हांगकांग के नागरिकों की चिंताओं” में साझीदार है। उसने कहा कि हांगकांग के लोगों के अधिकारों की रक्षा की जानी चाहिए।
ईयू ने कहा कि प्रस्तावित कानून का ‘‘हांगकांग, उसके लोगों, ईयू और विदेशी नागरिकों और हांगकांग में कारोबार को लेकर भरोसे पर संभावित दूरगामी प्रभाव पड़ेगा।” ब्रिटेन की प्रधानमंत्री टेरेसा मे ने कहा कि यह जरूरी है कि प्रस्तावित कानून ब्रिटेन-चीन समझौते का उल्लंघन नहीं करे। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भी कहा कि वह प्रदर्शन का कारण समझ सकते हैं।
उल्लेखनीय है कि प्रदर्शनकारियों ने चीन में प्रत्यर्पण को अनुमति देने वाले विवादास्पद विधेयक से पीछे हटने के लिए सरकार को एक समय सीमा दी थी, जिसके समाप्त होने के कुछ समय बाद बुधवार को झड़पें शुरू हो गईं और विधेयक पर चर्चा को बाद की तारीख के लिए टालना पड़ गया।
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