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वर्षों बाद संसद में पति के साथ दिखीं सुषमा, लिखा – ‘घर में साथ हूं, संसद में नहीं’

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विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की सोशल मीडिया पर एक अलग पहचान है। वह यूजर्स के अजीबोगरीब सवालों के भी मजेदार जवाब देती हैं, लोगों की समस्याएं सुनती हैं और कभी-कभी निजी जिंदगी में झांकने का मौका भी देती हैं। उन्होंने गुरुवार को अपने ट्विटर पर पति स्वराज कौशल के साथ एक फोटो शेयर की। फोटो के साथ उन्होंने लिखा, कई सालों बाद हम साथ- किस्मत से संसद के गेट पर आज स्वराज से भेंट हुई। फोटो में सुषमा और स्वराज एक-दूसरे का हाथ थामे दिख रहे हैं। उनके पीछे कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह और यूपी से भाजपा सांसद विनय कटियार भी मुस्कुराते दिखे।

रिकॉर्डधारी स्वराज कौशल
1990 में देश के सबसे युवा (37 वर्ष) राज्यपाल बने मिजोरम के
सुषमा स्वराज के नाम देश की सबसे युवा केबिनेट मंत्री बनने का रिकॉर्ड है।

जॉर्ज फर्नांडीज पर तस्करी के केस में पैरवी की
इमरजेंसी के दौरान जब सीबीआई ने विपक्षी नेता जॉर्ज फर्नांडीज समेत 24 लोगों के खिलाफ बड़ौदा में डायनामाइट तस्करी के फर्जी आरोप लगाए, तो कोर्ट में फर्नांडीज की पैरवी स्वराज कौशल ने ही की थी।

क्या आप अब साथ नहीं हैं?
विदेश मंत्री के ट्वीट के बाद एक यूजर ने लिखा कि क्या आप, अब साथ नहीं हैं? सुषमा ने ट्वीट कर कहा कि घर में साथ हैं संसद में नहीं। कौशल 2000-2004 तक राज्य सभा में साथ थे।

ललित मोदी के कारण विवादों में
पूर्व आईपीएल कमिश्नर ललित मोदी को कौशल ने 22 साल तक कानूनी मदद दी है। 2010 में आईपीएल के दौरान उन्हें ललित की ओर से मुंबई के फोर सीजन्स होटल में ठहराया गया था। यह वही होटल है जिसके मेहमानों की लिस्ट आने के बाद बीसीसीआई में राजनीतिक भूचाल आ गया था। बिल भुगतान पर ललित मोदी और बीसीसआई आमने-सामने आ गए थे।
रोचक ट्वीट
रवींद्र वाजपेयी@ सुषमा जी आप तो इस तरह खुश हैं जैसे कौशल साहब को यमन से सुरक्षित निकाला गया हो।
नोरन @ क्या यह आपके पति है ?
संगीता @ दाम्पत्य हंसते हुए इतने अच्छे दिख रहें हैं कि विपक्ष दिग्विजय भी अपनी हंसी नहीं रोक पाए जय हो

अकेले हनीमून पर गए पति से सुषमा ने किया पत्नी को भेजने का वादा
नार्थ ईस्ट मामलों के जानकार
स्वराज कौशल भारत में नॉर्थ ईस्ट मामलों और वहां हुए विद्रोह के अच्छे जानकार माने जाते हैं। 1979 में उन्होंने ही अंडरग्राउंड मिजो लीडर लालडेंगा की रिहाई मुमकिन कराई थी। इसके बाद सरकार से समझौता वार्ता के लिए वह अंडरग्राउंड मिजो नेशनल फ्रंट के संवैधानिक सलाहकार बनाए गए। कई राउंड की बातचीत के बाद मिजोरम शांति समझौता अस्तित्व में आया और 20 साल से चले आ रहे विद्रोह का अंत हुआ। इसी के इनाम के तौर पर उन्हें प्रदेश का गवर्नर बनाया गया।

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