
नेपाल के नए प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा ने रविवार को बहाल हुए संसद के निचले सदन में विश्वास मत हासिल कर लिया। 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा में देउबा सरकार के पक्ष में 165 मत पड़े, जबकि 83 सांसदों विरोध में मत दिया। नेपाल के 249 सांसदों ने मतदान प्रक्रिया में हिस्सा लिया जबकि एक सांसद उपस्थित रहते हुए तटस्थ बना रहा। देउबा को संसद का विश्वास हासिल करने के लिए कुल 136 मतों की आवश्यकता थी।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर देउबा ने ली थी शपथ : देउबा ने 13 जुलाई को प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी। इससे एक दिन पहले ही नेपाल के उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश चोलेंद्र शमशेर राणा की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने संसद के निचले सदन प्रतिनिधि सभा को बहाल करने का आदेश दिया था, जिसे पांच महीने में दूसरी बार 22 मई को तत्कालीन प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की अनुशंसा पर राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने भंग कर दिया था। अदालत ने फैसले को असंवैधानिक करार दिया था।
ओली की रणनीति नहीं आई काम : पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की पार्टी नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी-यूएमएल ने मतदान के दौरान देउबा सरकार के खिलाफ मतदान किया। बताया जा रहा है कि पार्टी के असंतुष्ट नेता माधव कुमार नेपाल के करीबी नेताओं ने सरकार के पक्ष में मतदान किया है। माधव कुमार नेपाल के साथ यूएमएल के 23 सांसद हैं जिन्होंने कुछ महीने पहले राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी के समक्ष देउबा का समर्थन किया था।
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