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कोरोना से इटली में अब तक 100 डॉक्टरों की मौत, नन ने वेल उतार थामा आला


कोरोना वायरस ने इटली की मेडिकल सर्विस को बुरी तरह तबाह कर दिया है। यहां मरने वालों हजारों लोगों में 100 डॉक्टर भी शामिल हैं। 30 नर्स और नर्सिंग स्टाफ की भी मौत हो गई है
इटली में कोरोना वायरस का सबसे बुरा असर फ्रंट लाइन वॉरियर्स यानी नर्स और डॉक्टरों पर हो रहा है। इलाज के दौरान वे खुद इसकी चपेट में आ रहे हैं और अब तक 100 डॉक्टरों की कोविड19 महामारी की चपेट में आ जाने से मौत हो गई है। इटली में फरवरी में पहला केस सामने आया था और मार्च में इसने इटली में तबाही मचाकर रख दी। भयावह स्थिति का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि मेडिकल फेसिलिटी के लिए चर्चित रहे इस देश के पास अस्पतालों की कमी पड़ गई और होटल व स्पोर्ट्स सेंटर में रिकवरी रूम खोलना पड़ गया और नॉन-मेडिकल स्टाफ को ट्रेनिंग दे कोरोना जंग में उतार दिया गया।
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इटली के स्वास्थ्य संगठन एफएनओएमसीईओ ने गुरुवार को यह जानकारी दी। एफएनओएमसीईओ के प्रवक्ता ने एएफपी को बताया, ‘कोविड-19 के कारण 100 डॉक्टरों की जान चली गई। दुर्भाग्य से शायद इस वक्त तक यह आंकड़ा 101 होगा।’ संक्रमण के कारण जान गंवाने वालों में रिटायर डॉक्टर्स भी शामिल हैं जिन्हें सरकार ने एक महीने पहले कोरोना वायरस से लड़ाई में मदद के लिए बुलाना शुरू कर दिया था। कोविड-19 के कारण दुनिया में सर्वाधिक 17,669 लोगों की मौत इटली में हुई है।
नर्सों की भी गई जान, नन ने वेल उतार थामा आला
इटली के मीडिया में आई खबरों के मुताबिक 30 नर्सें और नर्सिंग सहायकों की भी इस संक्रमण के कारण मौत हो गई। एफएनओएमसीईओ की वेबसाइट पर संगठन के अध्यक्ष फलिप्पो एनेली ने कहा कि अब भी डॉक्टरों और हेल्थ वर्कर्स को वायरस के खिलाफ बिना किसी सुरक्षा के लड़ाई में उतारने देना सही नहीं है। रोम के आईएसएस सार्वजिनक स्वास्थ्य संस्थान का अनुमान है कि इटली के संक्रमित लोगों में से दस फीसदी स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र में काम करते हैं।

यहां स्थिति इतना विकट है कि एक नन ने भी अपना वेल उतार कर आला थाम लिया है। वह पेशे से डॉक्टर भी हैं। वह कांगो मूल की नागरिक हैं और जब इटली में संकट गहराया तो उन्होंने अपने कॉन्वेंट से एक महीने की छुट्टी ले ली। वह नन के लिबास वेल की जगह प्रॉटेक्टिव सूट पहनकर घूम रही हैं और हाथ में मास्क और फेस पर सर्जिकल मास्क लगा रखा है। वह अस्पताल में इलाज के अलावा बर्गामो में लोगों के घरों में भी जाती हैं जहां दो हजार लोगों की कोरोना से मौत हो गई है।