
सरकार की ओर से 18 सितंबर से 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र बुलाने का ऐलान किया गया। विशेष सत्र की बात सामने आते ही सियासी जगत में कयास लगने शुरू हो गए। दो तीन हफ्ते पहले संसद के मॉनसून सत्र के धुल जाने के बाद महज सवा महीने बाद विशेष सत्र बुलाए जाने को लेकर तरह-तरह के सवाल और संभावनाएं उठनी शुरू हो गई हैं। वहीं, इस सत्र की टाइमिंग को लेकर भी सवाल उठ रहा है। खासकर G20 की शिखर बैठक के बाद अचानक सत्र का आयोजन होना भी सवाल खड़े कर रहा है। पेश है पांच संभावनाओं पर चर्चा
संसद का विशेष सत्र: आगे के रोडमैप पर बहस – हाल ही में भारत ने आजादी का 75 साल पूरे किए हैं। इसे केंद्र सरकार ने अमृत काल का नाम दिया था। इसकी समाप्ति के बाद बाद 2047 तक आजादी के 100 वर्षों पूरे होने पर अगले 25 वर्षों तक देश के विकास का रोडमैप कैसा रहेगा, इसका एक खाका सरकार पेश कर सकती है।
दरअसल, पीएम मोदी लाल किले से अपने संबोधन के बाद से लगातार इसकी चर्चा करते रहे हैं। ऐसे में वे इस सत्र में देश के सामने ने विजन के साथ सामने आ सकते हैं। माना जा रहा है कि सरकार इस पर संसद के भीतर पांच दिनों तक बहस कराकर इससे जुड़े एक प्रस्ताव को आम सहमति से पेश कर सकती है।
संसद का विशेष सत्र: नए बिल्डिंग में सत्र की शुरुआत – नए संसद भवन का उद्घाटन 25 जून को हुआ था। लेकिन ससंद का मॉनसून सत्र संसद के पुराने भवन में ही हुआ। इस पर सवाल भी उठे। लेकिल अब जब सरकार ने संसद का विशेष सत्र बुलाया जा रहा है तो ऐसी संभावना जताई जा रही है कि यह न सिर्फ नए भवन में हो, बल्कि सरकार इसे एक नई शुरुआत के रूप पेश कर सकती है। मालूम हो कि नया संसद भवन पीएम मोदी का ड्रीम प्राोजेक्ट रहा है।
संसद का विशेष सत्र: क्या एक देश एक चुनाव से जुड़ा बिल पेश होगा – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दोबारा पद संभालने के बाद अपनी सबसे बड़ी महत्वाकांक्षी योजना ‘एक देश,एक चुनाव’ को एक बार फिर आक्रामक रूप से आगे बढ़ाने की पहल की है। पिछले कुछ सालों से पीएम मोदी लगातार इसकी वकालत कर रहे हैं। मालूम हो कि संसदीय कमिटी पहले ही पूरे देश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराने को लेकर एक पूरा रोडमैप दे चुकी है।
संसदीय कमिटी ने दो साल पहले अपने प्रस्ताव में कहा था कि अगले कुछ सालों तक अलग-अलग समय पर होने वाली विधानसभा चुनावों को एक क्रम बनाकर आयोजित किया जाए तो संभव है कि लोकसभा और सभी विधानसभा चुनाव एक साथ हों। सबसे पहले लालकृष्ण आडवाणी ने इस बहस को शुरू किया था। यह मुद्दा 2014 और 2019 के आम चुनाव में बीजेपी के घोषणा पत्र में भी शामिल रहा है। ऐसे में स्पेशल सेशन में इस पर बहस छिड़ने की भी चर्चा शुरू हो गई।
संसद का विशेष सत्र: कुछ अन्य अहम मुद्दे – विशेष सत्र को लेकर कुछ दूसरी तरह के कयास भी लगाए जा रहे हैं। एक संभावना बताई जा रही है कि सरकार इस विशेष सत्र को आखिरी सत्र बताते हुए इसमें अपने कुछ अहम मुद्दों को आगे बढ़ाने की कोशिश करे। कुछ ऐसे मुद्दे, जिन्हें लेकर अगर वह चुनावी मैदान में जाती है तो सत्तारूढ़ दल को चुनावी और सियासी फायदा हो सके। इनमें महिला आरक्षण बिल से लेकर समान नागिरक संहित कानून (यूसीसी) तक संभव हैं।
संभावना यह भी जताई जा रही है कि सरकार समय पूर्व लोकसभा चुनाव की सिफारिश कर दे। इसकी आशंका विपक्षी नेताओं ममता बनर्जी, एम.के. स्टालिन और नीतीश कुमार जैसे सीनियर नेता जता चुके हैं। माना जा रहा है कि अमृत काल में सार्थक बहस के दौरान बीजेपी सरकार G20 जैसे अंतरराष्ट्रीय आयोजन की सफलता का श्रेय भी लेना चाहेगी।
संसद का विशेष सत्र: विपक्ष क्या करेगा – हालांकि विशेष सत्र के ऐलान के साथ ही विपक्ष की तीखी प्रतिक्रिया आनी शुरू हो गईं। लेकिन विपक्ष इसे लेकर ‘वेट एंड वॉच’ की नीति अपनाएगा। जब तक सरकार की ओर से विशेष सत्र का अजेंडा पूरी तरह से सामने नहीं आ जाता, विपक्ष अपनी विस्तृत प्रतिक्रिया देने और अपनी आगामी रणनीति का खुलासा करने से बचेगा। हालांकि, विपक्ष अपनी एकजुटता की कवायद और तैयारियां तेज कर देगा।
जैसा कि कयास लगाया जा रहा है कि सरकार समय से पहले लोकसभा चुनाव करवा सकती है, इसके पीछे सरकार की मंशा रहेगी कि विपक्ष को अपनी तैयारियों का पूरा समय न मिल सके। ऐसे में विपक्ष को उन सीट शेयरिंग से लेकर कॉमन मिनिमम प्रोग्राम सहित तमाम मुद्दों पर आपसी सहमति बनाने और उसे जमीन पर उतारने में तेजी लानी होगी। हालांकि, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने गुरुवार को अचानक विशेष सत्र के ऐलान को अडाणी मुद्दे पर हुए हालिया खुलासे के बाद सरकार की घबराहट करार दिया। विपक्ष के तेवरों से साफ है कि एक ओर जहां वह लोकतंत्र, संवैधानिक मूल्यों, मंहगाई जैसे मुद्दों पर सरकार को घेरेगा।
Home / News / संसद का विशेष सत्र: एक देश एक चुनाव, UCC, जनसंख्या नियंत्रण… पांच दिनों में इन 5 मुद्दों पर सस्पेंस
IndianZ Xpress NZ's first and only Hindi news website