
श्रीलंका के मुख्य बंदरगाह पर एक मालवाहक जहाज बुधवार को डूबने लगा है जिससे द्वीपीय राष्ट्र में पर्यावरण को लेकर गंभीर चिंताएं पैदा हो गई हैं क्योंकि इसके ईंधन टैंक में अभी भी कई सौ टन तेल है। इस जहाज पर सिंगापुर का झंडा लगा है। रासायनिक सामग्रियों से लदे इस जहाज में पिछले दिनों आग लग गई थी। भारत और श्रीलंका के अग्निशमन दलों के सदस्यों के जहाज ‘एमवी एक्सप्रेस पर्ल’ पर बचाव के लिए पहुंचने और 12 दिनों के बाद आग को बुझा लेने के एक दिन बाद इस जहाज का पिछला हिस्सा पानी में डूबने लगा है।
श्रीलंकाई नौसेना के प्रवक्ता इंडिका डी सिल्वा ने कहा कि जहाज का पिछला हिस्सा डूब रहा है। यह जहाज उस वक्त डूबने लगा जब बचाव दल सुरक्षा कारणों से इसे किनारे लाने में जुटे हुए थे। गुजरात के हजीरा से कोलंबो बंदरगाह तक सौंदर्य प्रसाधनों के लिए रसायनों और कच्चे माल की एक खेप लेकर आए मालवाहक जहाज में 20 मई को कोलंबो बंदरगाह के पास आग लग गई। इसी जगह पर जहाज ने लंगर डाला था।
इसके टैंक में 325 मीट्रिक टन ईंधन के अलावा, 1,486 कंटेनर भी थे जिसमें लगभग 25 टन खतरनाक नाइट्रिक एसिड था। श्रीलंकाई पर्यावरणविदों ने इसे देश के इतिहास में सबसे गंभीर पारिस्थितिक आपदाओं में से एक बताया है और समुद्री जीवन और मछली पकड़ने के कार्यों के लिए संभावित खतरे की चेतावनी दी है।
भारत ने 25 मई को आग बुझाने में श्रीलंकाई नौसेना की मदद करने के लिए आईसीजी वैभव, आईसीजी डोर्नियर और टग वाटर लिली को रवाना किया था। प्रदूषण से निपटने के लिए भारत का एक विशेष पोत ‘समुद्र प्रहरी’ भी 29 मई को वहां पहुंचा था। जहाज के चालक दल के सभी 25 सदस्यों को 21 मई को बचाया गया था। इनमें भारत, चीन, फिलीपीन और रूस के नागरिक थे।
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