
ग्रहों-नक्षत्रों की बदलती चाल के साथ व्यक्ति के जीवन पर शुभ-अशुभ प्रभाव पड़ते हैं। तभी तो कोई भी मंगल कार्य का आरंभ करने से पहले शुभ मुहूर्त देखा जाता है। पांच दिनों तक चलने वाला पंचक अशुभ दौर होता है, जिसमें किसी भी तरह का मांगलिक कार्य न तो आरंभ किया जाता है और विशेष सावधानी भी रख़नी चाहिए। आज 4 जून, सोमवार को रात करीब-करीब 01.33 से पंचक का आरंभ हो जाएगा, जो 9 जून, शनिवार को शाम करीब-करीब 07.34 तक रहेगा। यह पंचक मंगलवार से शुरू हो रहा है इसलिए इसे अग्नि पंचक कहा जाएगा।
हिंदू धर्म में आग को देव का दर्जा प्राप्त है इसलिए इसे अग्नि पंचक कहा जाएगा। 5 दिनों के दौरान आग से संभल कर रहें, अग्नि देव बरसा सकते हैं कहर। बड़ा नुकसान होने के भी योग बन रहे हैं।
एक वर्ष में ये 5 दिन कई बार आते हैं। इन 5 दिनों का विशेष विचार होता है। जरूरी नहीं है कि सभी पंचक अशुभ होते हैं। पंचक का डर लोगों के अन्दर मिथ्या रूप से भी है। ये पंचक इतने भी ख़राब नहीं होते जितना इनका प्रचार हुआ है।
पंचक का अर्थ होता है 5, आवृत्ति, चन्द्र के भ्रमण से पंचक बनता है जब चन्द्र अपनी चाल चलता हुआ कुम्भ राशि में प्रवेश करता है तो पंचक लग जाता है और जब चन्द्र मीन राशि से निकल जाता है तब पंचक समाप्त हो जाता है। इन दो राशियों से चलता हुआ चन्द्र 5 नक्षत्रों ‘धनिष्ठा’, ‘शतभिषा’, ‘पूर्वा भाद्रपद’, ‘उत्तरा भाद्रपद’ एवं ‘रेवती’ से गुजरता है इसलिए इस समय को पंचक का समय बताया गया है। पंचक जरूरी नहीं कि अशुभ ही हो, हो सकता है कि पंचक के दिनों में आपने मकान खरीदा या कोई वाहन खरीदा, तो आप 5 घरों के मालिक या पांच वाहनों के मालिक बन जाएं इसलिए शुभ कार्यों में पंचक का विचार किया जाता है।
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