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79 साल की उम्र में ओमान के सुल्तान ने ली अंतिम सांस, देश में 3 दिन का राष्ट्रीय शोक


ओमान के सुल्तान काबूस बिन सईद अल सईस की 79 साल की आयु में मौत हो गई है। काबूस के नाम अरब देशों में सबसे ज्यादा वक्त तक सुल्तान रहने का रिकार्ड़ है। ओमान के सरकारी मीडिया के अनुसार सुल्तान काबूस की मौत शुक्रवार शाम को हुई। हालांकि सुल्तान की मौत के कारणों पर अभी तक कोई आधिकारिक ऐलान नहीं किया गया है। सुल्तान के निधन के बाद शनिवार को ओमान में तीन दिन के राष्ट्रीय शोक का ऐलान किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सुल्तान के निधन पर शोक व्यक्त किया है।
पिछले माह ही वो बेल्जियम से अपना इलाज कराकर देश लौटे थे। मीडिया की खबरों की माने तो वे कैंसर से पीडि़त थे। सुल्तान काबूस वर्ष 1970 में ब्रिटेन की मदद से अपने पिता से गद्दी छीनकर सुल्तान बने थे। और तब से लेकर अंतिम सांस लेने तक वह सुल्तान के पद पर बने रहें।
शोक संदेश में कहा गया है कि 14वें जुमादा अल-उला सुल्तान काबूस बिन सैद का शुक्रवार की देर रात निधन हो गया, पिछले 50 वर्षों में एक व्यापक पुनर्जागरण की स्थापना के बाद से उन्होंने 23 जुलाई 1970 को सत्ता संभाली थी। इस पुनर्जागरण के परिणामस्वरूप एक संतुलित विदेश नीति बनी जिसे पूरी दुनिया ने सम्मान के साथ सराहाया है। ओमान की तरक्की के लिए सुल्तान ने बहुत काम किये हैं। जिसमें उन्होंने तेल से होने वाली कमाई का खूब इस्तेमाल किया। सुल्तान काबूस ने शादी नहीं की थी, जिस कारण उनके उत्तराधिकारी को लेकर अभी संशय बना हुआ है।
सल्तनत के नियमों के अनुसार, गद्दी को तीन दिनों से ज्यादा खाली नहीं रखा जा सकता है और शाही परिवार परिषद को इसी समय सीमा में नया सुल्तान चुनना होगा। शाही परिवार परिषद में करीब 50 पुरुष मेंबर है। नियम के अनुसार नए सुल्तान के चुनाव में अगर आम सहमति नहीं बनती है। तब रक्षा परिषद के सदस्य, सुप्रीम कोर्ट के अध्यक्ष , सलाहकार परिषद और राज्य परिषद उस बंद लिफाफे को खोलेंगे, जिसमें सुल्तान काबूस ने नए सुल्तान को लेकर अपनी पसंद जाहिर की होगी।
कौन-कौन है सुल्तान की रेस में
सूत्रों की माने तो सुल्तान बनने की दौड़ में काबूस के तीन भाई सबसे आगे रेस में बने हुए हैं। ओमान में सुल्तान पद सर्वोच्च होता है। लगभग 46 लाख जनसंख्या वाले ओमान में करीब 43 फीसद लोग प्रवासी हैं।
सुल्तान काबूस को आधुनिक जगत का सुल्तान कहा जाता रहा है। उन्होंने ओमान में अति-रूढ़िवादी सोच को खत्म करने का काम किया और देश की तरक्की के लिए शिक्षा, सड़कों का निर्माण, संचार, स्वास्थ्य जैसी बुनियादी जरुरतों पर काम किया। उन्होंने विदेशी मामलों में एक तटस्थ रास्ता अपनाया और 2013 में अमरीका व ईरान के बीच वार्ता का मार्ग खोलने में भी बड़ी भूमिका निभाईं। इस बातचीत के दो साल बाद ही ऐतिहासिक परमाणु समझौता हुआ।
देश में लोकप्रियता से लेकर विरोध तक
सुल्तान काबूस के व्यक्तित्व को जादूई और दूरदर्शी बताया जाता है। वो ओमान में बहुत फेमस थे। लेकिन उन पर भी जनता की आवाज दबाने के आरोप लगते रहे हैं। साल 2011 में अरब क्रांति के दरमियान उन पर भी विरोध की आवाजों को दबाने के आरोप लगे थे। ओमान में कभी बड़ी क्रांति तो नहीं हुई, लेकिन हजारों लोग वेतन, नौकरियों की मांग जैसे मामलों के लिए कई बार सड़कों पर जरुर उतरे हैं। जिन्हें रोकने के लिए आंसू गैस के गोले, रबर बुलेट, और कई बार हथियारों का इस्तेमाल भी जरुर करना पड़ा था। ह्यूमन राइट्स वॉच के अनुसार, सुल्तान ने सरकार के आचोलक स्वतंत्र अखबारों और पत्रिकाओं को लगातार बंद कर रखा था और सामाजिक कार्यकर्ताओं को भी बहुत परेशान कर रखा था।