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धूप खिलने से घटेगा नहीं, बढ़ेगा Coronavirus इन्फेक्शन , स्टडी में बताई गई वजह


एक तरफ अधिक गर्मी और उमस से COVID-19 का इन्फेक्शन फैलने की रफ्तार कम होने की बात कही जा रही है, वहीं ताजा रिजल्ट में उल्टे नतीजे मिले हैं।एक स्टडी में इस ओर इशारा किया गया है कि लंबे समय तक धूप खिली होने से महामारी के मामले बढ़ने की बात देखी गई। हालांकि, ऐसा धूप के वायरस पर असर को लेकर नहीं बल्कि लोगों की आदत को लेकर कहा गया है।

पत्रिका ‘जियोग्राफिकल अनैलेसिस’ में छपी स्टडी के अनुसार धूप निकलने से लोग बड़ी संख्या में बाहर निकलने लगते हैं और इन्फेक्शन का खतरा बढ़ जाता है।
कनाडा की मैकमास्टर यूनिवर्सिटी के नेतृत्व में हुए स्टडी में रिसर्चर्स ने इस बारे में व्यापक वैज्ञानिक बहस को लेकर जानकारी दी है कि मौसम में बदलाव से खासकर गर्मी के मौसम से COVID-19 के फैलने की रफ्तार पर क्या असर पड़ता है।

रिसर्चर बताते हैं कि इन्फ्लुएंजा और SARS जैसे रोग कम तापमान और आर्द्रता में पनपते हैं, वहीं COVID-19 फैलाने वाले वायरस SARS-CoV-2 को लेकर इस बारे में कम ही जानकारी है। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था को फिर से खोलने का बहुत दबाव है और कई लोग जानना चाहते हैं कि क्या गर्मियों के महीनों में यह सुरक्षित होगा।
रोशनी का यह असर
DHS के मुताबिक सूरज की रोशनी में एयरोसॉल्स में मौजूद यह वायरस जल्द ही मर जाता है। एक्सपेरिमेंट में देखा गया कि बिना रोशनी के एक घंटे बाद में वायरस में ज्यादा कमी नहीं देखी गई। हालांकि, अभी तक के एक्सपेरिमेंट में यह बात कही गई है कि फिलहाल इसे पूरी तरीके से साबित नहीं किया जा सकता। गौरतलब है कि सूरज की रोशनी में कोरोना के नष्ट होने की संभावना पर काफी वक्त से चर्चा चल रही है। वहीं, अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल प्रिवेन्शन ने साफ कहा है कि अभी तक COVID-19 के इलाज को लेकर FDA ने कुछ अप्रूव नहीं किया है।
गरम मौसम का असर
सामने आए दस्तावेजों में एक स्टडी का जिक्र किया गया है जिसमें चीन के 100 शहरों के पिछले महीने के मामलों को स्टडी किया गया था। इसमें देखा गया कि जैसे-जैसे मौसम गर्म या नम हुई, ट्रांसमिशन रेट भी कम हुआ। वहीं, चीन में पब्लिक एक्सपर्ट्स और स्टडी के मुताबिक वायरस गर्मी या नमी में बढ़ नहीं सकता लेकिन इसे फिलहाल रोका नहीं जा सकता।
गरम देशों में कम रफ्तार
दूसरी ओर मैसच्यूसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी के वैज्ञानिकों के मुताबिक भी कोरोना वायरस गरम देशों में धीरे फैला है। टीम ने पाया है कि ऑस्ट्रेलिया, यूएआई, कतर, सिंगापुर, बाहरेन और ताइवान में टेस्टिंग में तेजी से की गई। वाइट हाउस में काम करने वाले इम्यूनॉलजिस्ट डॉ. ऐंथनी फौसी के मुताबिक गर्मी के महीने में वायरस धीमा हो सकता है। उन्होंने कहा कि यह नीचे जरूर जाएगा लेकिन यह पुष्टि नहीं की जा सकती है कि गर्मी के मौसम का इस पर ज्यादा असर होगा।

पाबंदियों पर निर्भर करता है असर
मैकमास्टर यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर और प्रमुख स्टडीकर्ता अंतोनियो पायेज ने कहा, ‘आंशिक रूप से आवाजाही पर पाबंदियों पर निर्भर करता है कि मौसम में बदलाव से SARS-CoV-2 पर क्या प्रभाव पड़ेगा। दुनियाभर में अब पाबंदियों में ढील देना शुरू कर दिया गया है।’ पायेज और उनके सहयोगियों ने स्पेन के अनेक प्रांतों में COVID-19 फैलने में जलवायु संबंधी कारकों की भूमिका की पड़ताल की।

उन्होंने आपातकालीन स्थिति की घोषणा से ठीक पहले 30 दिन की अवधि में इन्फेक्शन के मामलों की संख्या और मौसम संबंधी जानकारी संकलित की और उसका विश्लेषण किया। रिसर्चर्स ने पाया कि अधिक गर्मी और आर्द्रता में एक प्रतिशत की बढ़ोतरी होने पर COVID-19 के मामलों में तीन प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गयी, जिसकी वजह संभवत: अधिक तापमान की वजह से वायरस की क्षमता कम होना है।

उन्होंने कहा कि अधिक धूप की स्थिति में उलटी ही बात देखने में आई। ज्यादा देर सूरज निकलने में मामले अधिक होते देखे गए। रिसर्चर्स का अनुमान है कि इसकी वजह मानवीय व्यवहार से जुड़ी हो सकती है कि धूप खिली होने से लोगों के लॉकडाउन के नियमों को तोड़ते हुए बाहर निकलना हो सकता है।