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खालिस्‍तानियों से हमदर्दी, कनाडा में बलूचों के मर्डर पर चुप्‍पी, करीमा बलूच की रहस्‍यमय हत्‍या पर घिरे पीएम ट्रूडो


कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो का खालिस्‍तान प्रेम सोमवार को एक बार फिर से सामने आ गया। ट्रूडो ने देश की संसद में कहा कि उनके देश ने एक टॉप भारतीय डिप्‍लोमैट को निकाल दिया है। यह कदम इसलिए उठाया गया क्‍योंकि ट्रूडो मानते हैं कि भारत सरकार के एजेंट्स की वजह से कनाडा में खालिस्‍तानी हरदीप सिंह निज्‍जर की हत्‍या हुई। ट्रूडो का यह आरोप काफी हैरान करने वाला था क्‍योंकि उनका खालिस्‍तान प्रेम इस बयान के साथ ही सामने आ गया। यह ट्रूडो कनाडा के वही पीएम हैं जिनकी एजेंसिया इस बात का पता आज तक नहीं लगा पाई हैं कि दिसंबर 2020 में 37 साल की बलूचिस्‍तान की रहने वाली करीमा बलूच की हत्‍या किसने की थी।
किसने मारा करीमा को – करीमा की हत्‍या आज भी रहस्‍य बनी हुई है। करीमा की लाश टोरंटो में एक नदी के किनारे मिली थी। करीमा बलूचिस्‍तान की आजादी के लिए लड़ाई लड़ रही थीं। कनाडा में निर्वासन में रह रही करीमा एक मानवाधिकार कार्यकर्ता थी जो रहस्‍यमय तरीके से मौत से कुछ दिन पहले गायब हो गई थीं। करीमा बलूच को साल 2016 में कनाडा में शरण दी गई थी। पाकिस्तान के अशांत राज्य बलूचिस्तान में मानवाधिकार कार्यकर्ता के रूप में उनके काम से अधिकारी काफी परेशान थे। करीमा का पीछा किया गया और अधिकारियों ने उन्‍हें धमकाया भी था।
कौन थीं करीमा – करीमा एक राजनीतिक छात्र संगठन, बलूच छात्र संगठन (बीएसओ-आजाद) की पहली अध्यक्ष थीं। वह लंबे समय से चल रहे विद्रोह वाले क्षेत्र में लोगों के अधिकारों की वकालत कर रही थीं और जबरन गायब होने के चल रहे मुद्दे को उठा रही थीं। करीमा को बीबीसी ने साल 2016 की 100 सबसे प्रेरणादायक और प्रभावशाली महिलाओं की लिस्‍ट में शामिल किया था। बलूच के पति हम्माल हैदर ने कहा था कि जिस दिन करीमा की मौत हुई उस दिन वह टोरंटो के सेंटर द्वीप पर टहलने के लिए घर से निकली थीं। वह अक्सर वहां जाती थीं लेकिन 22 दिसंबर 2020 को वह घर वापस नहीं लौटीं।
पाकिस्‍तान आर्मी पर शक – टोरंटो पुलिस ने बाद में ट्विटर पर जानकारी के लिए अपील की और इसके कुछ समय बाद उनका शव मिला। उनके पति का कहना था कि करीमा आत्‍महत्‍या नहीं कर सकती हैं। परिवारों वालों को पाकिस्‍तान की सेना पर शक है। पति हैदर की मानें तो इससे इंकार नहीं किया जा सकता है क्योंकि उन्‍हें धमकियां मिल रही हैं। उन्होंने पाकिस्तान छोड़ दिया क्योंकि उनके घर पर दो से अधिक बार छापा मारा गया था। करीमा ने कई वैश्विक मंचों पर बलूचिस्तान में पाकिस्तानी सेना के अत्याचारों को सामने लाने का काम किया था। करीमा बलूच को कई बार अज्ञात लोगों की तरफ से धमकाया गया था।