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फिर जंग का मैदान बना सीरिया, रूस को मात देने के लिए अमेरिका ने भेजी फौज


सीरिया में रूस की बढ़ती ताकत को कम करने के लिए अमेरिका ने अतिरिक्त फोर्स और हथियारों की तैनाती की है। बताया जा रहा है कि सीरिया में तैनात रूसी सैनिक अमेरिकी सैनिकों को जानबूझकर निशाना बना रहे हैं। जिसके बाद अमेरिका ने अपनी फौज और हथियारों को बढ़ाने का फैसला किया। कुछ दिन पहले ही रूसी सेना की गाड़ी से हुए एक्सीडेंट में अमेरिका के चार जवान घायल हो गए थे।
रूस ने सीरिया में बढ़ाई अपनी ताकत
सीरिया में आईएसआईएस के खात्मे के बाद से अमेरिका ने अपने ज्यादातर सैनिकों को वापस बुला लिया था। उसके कुछ ही सैनिक वहां पर ताजा हालात की जानकारी रखने के लिए तैनात थे। इस बीच सीरिया में रूस ने अपनी सैन्य ताकत को जबरदस्त तरीके से बढ़ाया है। रूस खुलकर सीरियाई सरकार और राष्ट्रपति बशर अल असद का समर्थन करता है। जबकि, अमेरिका के नेतृत्व वाला गठबंधन उनका विरोधी है।

अमेरिका ने कई घातक हथियारों को किया तैनात
अमेरिकी मध्य कमान के प्रवक्ता नेवी कैप्टन बिल अर्बन ने कहा कि हमने सीरिया में आधुनिक रडार सिस्टम को भी तैनात किया है। अमेरिकी और गठबंधन सेना की बेहतर सुरक्षा के लिए इस क्षेत्र में फाइटर जेट की गश्त भी बढ़ा दी गई है। उन्होंने आगे कहा कि अमेरिका सीरिया में किसी अन्य राष्ट्र के साथ संघर्ष नहीं करता है, लेकिन यदि आवश्यक हो, तो गठबंधन बलों का बचाव करेगा।
रूस और अमेरिका में बढ़ी झड़प
हाल के दिनों में रूस और अमेरिका के बीच सैन्य झड़पों में तेजी देखने को मिली है। पिछले महीने ही रूसी सेना के एक ट्रक ने अमेरिकी आर्मी के हल्के बख्तरबंद सैन्य वाहन को टक्कर मार दी। इस दुर्घटना में अमेरिकी सेना के चार जवान घायल हो गए थे। वहीं, रूस ने इस घटना के लिए अमेरिका को दोषी ठहराया था। रूसी रक्षा मंत्रालय ने ने कहा था कि रूस ने अमेरिकी गठबंधन सेना को रूसी सैन्य पुलिस के काफिले के बारे में पहले ही सूचित कर दिया था। लेकिन, अमेरिकी बलों ने रूसी सैन्य काफिले को बाधित करने का प्रयास किया था।

अमेरिका ने पहले ही ताइवान के समीप अपने तीन न्यूक्लियर एयरक्राफ्ट कैरियर को तैनात कर दिया है। जिसमें से दो ताइवान और बाकी मित्र देशों के साथ युद्धाभ्यास कर रहे हैं, वहीं तीसरा एयरक्राफ्ट कैरियर जापान के पास गश्त लगा रहा है। अमेरिका ने जिन तीन एयरक्राफ्ट कैरियर को प्रशांत महासागर में तैनात किया है वे यूएसएस थियोडोर रूजवेल्ट, यूएसएस निमित्ज और यूएसएस रोनाल्ड रीगन हैं।

अमेरिका के पास दुनिया की सबसे आधुनिक सेना और हथियार हैं। दुनियाभर के देशों की सैन्य ताकत का आंकलन करने वाली ग्लोबल फायर पॉवर इंडेक्स के अनुसार 137 देशों की सूची में आर्मी, नेवी और एयरफोर्स के मामले में अमेरिका दुनिया के बाकी देशों से बहुत आगे है। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के अनुसार, अमेरिका के दुनिया में 800 सैन्य ठिकाने हैं। इनमें 100 से ज्यादा खाड़ी देशों में हैं। जहां 60 से 70 हजार जवान तैनात हैं।
एशिया में चीन की विस्तारवादी नीतियों से भारत को सबसे ज्यादा खतरा है। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण लद्दाख में चीनी फौज के जमावड़े से मिल रहा है। इसके अलावा चीन और जापान में भी पूर्वी चीन सागर में स्थित द्वीपों को लेकर तनाव चरम पर है। हाल में ही जापान ने एक चीनी पनडुब्बी को अपने जलक्षेत्र से खदेड़ा था। चीन कई बार ताइवान पर भी खुलेआम सेना के प्रयोग की धमकी दे चुका है। इन दिनों चीनी फाइटर जेट्स ने भी कई बार ताइवान के हवाई क्षेत्र का उल्लंघन किया है। वहीं चीन का फिलीपींस, मलेशिया, इंडोनेशिया के साथ भी विवाद है।
फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट्स, इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप के आंकड़ों के मुताबिक, पूरे एशिया में चीन के चारों ओर 2 लाख से ज्यादा अमेरिकी सेना के जवान हर वक्त मुस्तैद हैं और किसी भी अप्रत्याशित हालात से निपटने में भी सक्षम हैं। वहीं चीन की घेराबंदी में अमेरिका और अधिक संख्या में एशिया में अपनी सेना को तैनाक करने की तैयारी कर रहा है। इससे विवाद और गहराने के आसार हैं। जानिए एशिया मे कहां-कहां है अमेरिकी सैन्य ठिकाने-

मालदीव के पास स्थित डियेगो गार्सिया में अमेरिकी नेवी और ब्रिटिश नेवी मौजूद है। यह द्वीप उपनिवेश काल से ही ब्रिटेन के कब्जे में है और हिंद महासागर में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इस लोकेशन से चीनी नौसेना की हर एक मूवमेंट पर नजर रखी जा सकती है।

जापान में द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद से ही अमेरिकी सेना मौजूद है। एक अनुमान के मुताबिक यहां अमेरिकी नेवी, एयरफोर्स और आर्मी के कुल 10 बेस हैं जहां एक लाख से ज्यादा अमेरिकी सैनिक तैनात हैं। अमेरिका और जापान में हुई संधि के अनुसार इस देश की रक्षा की जिम्मेदारी यूएस की है। यहां से साउथ चाइना सी पर भी अमेरिका आसानी से नजर रख सकता है।

प्रशांत महासागर में स्थित इस छोटे से द्वीप पर अमेरिकी सेना की महत्वपूर्ण रणनीतिक मौजूदगी है। इस द्वीप से अमेरिकी सेना न केवल प्रशांत महासागर में चीन और उत्तर कोरिया की हरकतों पर नजर रख सकता है बल्कि उन्हें मुंहतोड़ जवाब देने और नेवल ब्लॉकेज लगाने में बड़ी भूमिका अदा कर सकता है। यहां 5000 अमेरिकी सैनिकों की तैनाती है।

उत्तर कोरिया के कोप से बचाने के लिए दक्षिण कोरिया में अमेरिकी फौज तैनात है। जिसमें आर्मी, एयरफोर्स, मरीन कॉर्प और यूएस नेवी के जवान शामिल हैं। यहां से अमेरिका चीन की हरकतों पर भी निगाह रखता है। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के अनुसार, यहां 28500 ट्रूप्स तैनात हैं।

चीन के नजदीक फिलीपींस में भी अमेरिकी सेना का बेस मौजूद है। हाल मे ही फिलीपींस के राष्ट्रपति रोड्रिगो डुटर्टे ने अमेरिका के साथ दो दशक पुराने विजिटिंग फोर्सेज एग्रीमेंट (VFA)को आगे बढ़ाने का फैसला किया है। बता दें कि 2016 में सत्ता में आने के बाद से रोड्रिगो डुटर्टे का झुकाव चीन की तरफ ज्यादा था। जिस कारण अमेरिका से फिलीपीन्स की तल्खियां भी बढ़ी थी।

ताइवान में अमेरिकी सेना का कोई स्थायी बेस नहीं है, लेकिन यहां अमेरिकी सेना अक्सर ट्रेनिंग और गश्त को लेकर आती जाती रहती है। वर्तमान समय में भी अमेरिका के दो एयरक्राफ्ट कैरियर इस इलाके में तैनात हैं। अमेरिका शुरू से ही ताइवान की स्वतंत्रता का समर्थक रहा है। हाल के दिनों में चीन से बढ़ते टकराव के बाद से अमेरिका ने पूर्वी चीन सागर और ताइवान की खाड़ी में अपनी उपस्थिति दर्ज करवानी शुरू कर दी है।

असद सरकार का विरोधी है अमेरिका
सीरिया में अमेरिका सीरियन डेमोक्रेटिक फोर्सेज को समर्थन देता है। यह गुट असद सरकार का विरोध करती है। हाल में ही भयंकर गृहयुद्ध से निकली सीरिया सरकार का पूरे देश के ऊपर नियंत्रण नहीं है। जिसके कारण सीरियन डेमोक्रेटिक फोर्सेज समेत कई ऐसे विरोधी गुट हैं जो देश के बड़े हिस्से पर अपना नियंत्रण बनाए हुए हैं। माना जा रहा है कि अमेरिकी सेना की नई तैनाती से सीरिया फिर जंग का मैदान बन सकता है।