केपी सरकार के प्रवक्ता ने कहा है कि हम अफगान अधिकारियों की आलोचना नहीं करना चाहते, क्योंकि वे राजनयिक पदों पर हैं। ये बात सही है कि उनका काम स्वीकार्य नहीं था। यह बेहतर है कि वे अपना स्पष्टीकरण दें और हमें भी उस प्रतिक्रिया के लिए इंतजार करना चाहिए।
पाकिस्तान सरकार और अफगान तालिबान के बीच अब एक नया विवाद खड़ा होता दिख रहा है। पेशावर में अफगान महावाणिज्यदूत हाफिज मोहिबुल्लाह शाकिर पाक राष्ट्रगान के दौरान बैठे रहे और राजनयिक प्रोटोकॉल का उल्लंघन किया, इसने पाकिस्तानियों को नाराज कर दिया है। ये वाकया मंगलवार को पेशावर में रहमत-उल-आलमीन सम्मेलन के दौरान हुआ। पाकिस्तान के राष्ट्रगान के दौरान खड़े ना होने को विशेषज्ञ प्रोटोकॉल उल्लंघन के साथ-साथ मेजबान देश के लिए अनादर दिखाने का तरीका बता रहे हैं। इस कार्यक्रम का आयोजन खैबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री अली अमीन गंदापुर ने किया था।
ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, कार्यक्रम में जब राष्ट्रगान बज रहा था तो शाकिर और उनके सहयोगी अपनी सीट पर ही बैठे रहे। उनके आसपास सभी लोग राष्ट्रगान के सम्मान में खड़े थे लेकिन दोनों अफगान अफसर सीट पर बैठकर फोन में देखते रहे। पाकिस्तान में अफगान अधिकारियों के इस कदम की राजनयिक शिष्टाचार का उल्लंघन कहते हुए निंदा की जा रही है। एक राजनीतिक विश्लेषक ने कहा कि राष्ट्रगान का अपमान करके अफगान कौंसल जनरल ने पाकिस्तान के लिए घोर अनादर दिखाया है। ये पाकिस्तान के लोगों का भी अपमान है। ऐसा कभी नहीं देखा गया, ये पूरी तरह राजनयिक आचरण के उलट है। इस तरह का व्यवहार किसी भी सभ्य समाज में स्वीकार्य नहीं है, इस राजनयिक कदाचार के लिए उन पर कार्रवाई की जानी चाहिए।
‘शाकिर को निष्कासित किया जाए’ – पाक विशेषज्ञों ने शाकिर के देश से निष्कासित करने की मांग की है। साथ ही उन्होंने खैबर पख्तूनख्वा सरकार की भी ऐसे व्यक्ति को बुलाने के लिए आलोचना की है, जो पाकिस्तान के राष्ट्रगान की गरिमा का ख्याल नहीं करता और प्रोटोकॉल को भी नहीं मानता है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस घटना पर विदेश मंत्रालय को तुरंत संज्ञान लेना चाहिए और राजनयिक मानदंडों के उल्लंघन के खिलाफ औपचारिक डेमार्शे जारी करना चाहिए।
पेशावर में यह घटना ऐसे समय में हुई है जब पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच संबंध तनावपूर्ण बने हुए हैं। अगस्त, 2021 में तालिबान के सत्ता में लौटने के बाद से पाकिस्तान के साथ उनके संबंध अच्छे नहीं रहे हैं। पाकिस्तान का कहना है कि अफगानिस्तान सरकार तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) को पनाह दे रहे है, जो पाकिस्तान में आतंकी हमले कर रहा है। पाकिस्तान लगातार अफगान तालिबान से टीटीपी पर कार्रवाई के लिए कह रहा है लेकिन तालिबान प्रशासन ने इस पर गंभीरता नहीं दिखाई है। तालिबान का कहना है कि पाकिस्तान की जमीन पर ही आतंकी पल रहे हैं, जो हमले कर रहे हैं। ऐसे में पाकिस्तान सरकार अफगानिस्तान पर उंगली ना उठाए।
केपी सरकार ने अफगान अधिकारियों से मांगा जवाब – खैबर पख्तूनख्वा सरकार के प्रवक्ता बैरिस्टर मुहम्मद अली सैफ ने पेशावर में अफगान राजनयिकों द्वारा पाकिस्तान के राष्ट्रगान के लिए खड़े न होने के मुद्दे पर कहा कि अफगान राजनयिक राष्ट्रगान के दौरान खड़े नहीं हुए। मैं इस घटना के संबंध में उनसे संपर्क में हूं। उन्होंने कहा कि उचित कार्रवाई यह होगी कि राजनयिक सीधे जवाब दें। बैरिस्टर सैफ ने कहा कि हमने उन्हें स्थिति से अवगत करा दिया है और वे कल अपना रुख जारी करेंगे।
Home / News / तालिबानी राजनयिकों ने पाकिस्तान में बैठकर की पाकिस्तानी राष्ट्रगान की बेइज्जती, पेशावर से इस्लामाबाद तक मचा बवाल