
तालिबान ने अफगानिस्तान पर जीत हासिल करने के बाद अब अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मान्यता देने की अपील की है। इस बीच केवल अफगानिस्तान ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी तालिबान के खिलाफ गुस्सा बढ़ता जा रहा है। अमेरिका में किए गए ताजा सर्वे के अनुसार, अगर अभी चुनाव हों तो जो बाइडन बुरी तरह हार जाएंगे। इस बीच कनाडा और ब्रिटेन ने तालिबान शासन को मान्यता देने से साफ इनकार किया है।
चीन की खुशामद में जुटा तालिबान : वहीं, पाकिस्तान, चीन और रूस ने तालिबान के साथ नजदीकियों को काफी बढ़ा दिया है। पाकिस्तान और चीन तो तालिबान सरकार को मान्यता देने का ऐलान भी कर चुके हैं। वहीं, रूस ने इशारा किया है कि वह भी तालिबान के शासन को स्वीकार कर सकता है। इस बीच तालिबान ने चीन को खुश करने की कोशिश में कहा कि चीन युद्ध से तबाह देश में उसके शासन के तहत एक बड़ी भूमिका निभा सकता है।
दुनिया से मान्यता की अपील कर रहा तालिबान : तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अफगान लोगों की इच्छा का सम्मान करना चाहिए और आधिकारिक तौर पर उनके समूह को मान्यता देनी चाहिए जिसने काबुल में सत्ता संभाली है। शरिया कानून लागू करने की योजना के तहत तालिबान द्वारा महिलाओं की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने की बढ़ती चिंताओं को खारिज करते हुए शाहीन ने चीन के सरकारी सीजीटीएन से कहा कि काबुल में नई तालिबान सरकार महिलाओं के शिक्षा और कामकाज के अधिकारों की रक्षा करेगी।
देश चलाने के लिए पैसे मांग रहा : उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मौद्रिक संगठनों से नई सरकार को धन जारी करने का भी आग्रह किया। शाहीन ने कहा कि चीन एक विशाल अर्थव्यवस्था और क्षमता वाला एक बड़ा देश है। वे अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।पिछले वर्षों के दौरान चीन और रूस के साथ हमारे संबंध रहे हैं। हमने उनसे कहा है कि उन्हें अफगानिस्तान को लेकर कोई चिंता नहीं होनी चाहिए।
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