
इस साल धरती के करीब से गुजरने वाला ऐस्टरॉइड रविवार को निकलेगा। हालांकि, इससे धरती को किसी तरह का खतरा नहीं है। 2001 FO32 नाम का यह ऐस्टरॉइड कई सौ मीटर डायमीटर का है और यह धरती से 20 लाख किमी दूर से गुजरेगा। यह दूरी चांद और धरती के बीच की दूरी से पांच गुना ज्यादा है। यूरोपियन स्पेस एजेंसी के ऐस्टरॉइड एक्सपर्ट डेटलेफ कोशनी के मुताबिक यह ऐस्टरॉइड स्थिर है और खतरनाक रास्ते पर नहीं है। इसे उपकरणों की मदद से ऐस्ट्रोनॉमर्स देख सकेंगे।
यह ऐस्टरॉइड हर 810 दिन में सूरज का एक चक्कर पूरा करता है। रविवार को धरती के करीब से गुजरने के बाद यह 2052 में वापस आएगा। वैज्ञानिक इसका इस्तेमाल ऐस्टरॉइड के बारे में और ज्यादा जानने के लिए करेंगे। इस ऐस्टरॉइड की पहली तस्वीर को इटली स्थित वर्चुअल टेलिस्कोप प्रॉजेक्ट ने अपने कैमरे में कैद किया है। इस ऐस्टरॉइड की तस्वीर को उस समय कैमरे में कैद किया गया जब यह विशाल चट्टान धरती से 1.95 लाख किलोमीटर की दूरी पर थी।
स्टडी करने वाली ब्रिटेन की टीम के मुताबिक पहली बार किसी ऐस्टरॉइड की सतह पर ऐसा मटीरियल मिला है। टीम का कहना है कि यह एक बड़ी खोज है जो हमारे ग्रह पर जीवन के इतिहास को दोबारा लिख सकती है। दरअसल, ऐस्टरॉइड पर ऑर्गैनिक मैटर का मिलना धरती पर जीवन के विकास जैसा लगता है। स्टडी के लीड रिसर्चर डॉ. क्वीनी चान ने मेलऑनलाइन को बताया, ‘ऑर्गैनिक मैटर से सीधे-सीधे जीवन होने का पता नहीं चलता है लेकिन इससे पता चलता है कि धरती पर जीवन पैदा होने के लिए शुरुआती मटीरियल ऐस्टरॉइड पर मौजूद है।’ Itokawa अरबों साल से अंतरिक्ष की दूसरी स्पेस-बॉडीज से मटीरियल लेकर पानी और ऑर्गैनिक मैटर बना रहा है।
स्टडी में बताया गया है कि पहले किसी विनाशकारी घटना में ऐस्टरॉइड बहुत ज्यादा गर्म हुआ होगा, इसका पानी खत्म हो गया होगा और फिर यह टूट गया होगा। इसके बावजूद इसने जैसे खुद को दोबारा बनाया और स्पेस से आती धूल या कार्बन से भरे उल्कापिंडों की मदद से इस पर फिर से पानी बनने लगा। इस स्टडी में दिखाया गया है कि S-टाइप के ऐस्टरॉइड, जहां से ज्यादातर ऐस्टरॉइड धरती पर आते हैं, उन पर जीवन के लिए जरूरी मटीरियल होते हैं। चान ने बताया कि कार्बनेशनस ऐस्टरॉइड्स की तरह इन चट्टानी ऐस्टरॉइड्स पर कार्बन से भरा मटीरियल भले ही ज्यादा न हो लेकिन उनकी केमिस्ट्री और पानी की मात्रा हमारी शुरुआती धरती जैसी होती है।
खास बात यह है कि अगर हमारे ब्रह्मांड में धरती जैसा कोई और ग्रह हो, तो वहां Itokawa जैसा ऐस्टरॉइड जीवन पैदा कर सकता है। अब धरती पर जीवन की उत्पत्ति के लिए C-टाइप कार्बन से भरे ऐस्टरॉइड्स पर ध्यान दिया जाता है। डॉ. चान ने बताया कि इस खोज से ऐस्टरॉइड्स से सैंपल धरती पर लाने की अहमियत का पता चलता है। Itokawa की धूल के सिर्फ एक कण, जिसे Amazon नाम दिया गया है, इसकी स्टडी ने गर्म होने से पहले के प्रिमिटिव और गर्म हो चुके प्रोसेस्ट ऑर्गैनिक मैटर को संभालकर रखा है। इससे पता चला है कि ऐस्टरॉइड को कभी 600 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान का सामना करना पड़ा था। डॉ. चान का कहना है कि प्रिमिटिव ऑर्गैनिक मैटर को देखकर कहा जा सकता है कि यह तब इस पर पहुंचा होगा जब ऐस्टरॉइड ठंडा हो चुका था।
पिछले साल दिंसबर में JAXA का Hayabusa 2 कैप्सूल धरती के करीबी ऐस्टरॉइड Ryugu से सैंपल लेकर लौट चुका है। Hayabusa 2 मिशन दिसंबर 2014 में लॉन्च किया गया था। यह 2018 में Ryugu पर पहुंचा और 2019 में सैंपल इकट्ठा किए गए जिनमें से कुछ सतह के नीचे थे। Hayabusa 2 कैप्सूल पहली बार किसी ऐस्टरॉइड के अंदरूनी हिस्से से चट्टानी सैंपल लेने वाला मिशन बना है। ऐसा दूसरी बार है कि किसी ऐस्टरॉइड से अनछुए मटीरियल को धरती पर वापस लाया गया है। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि सैंपल्स की मदद से धरती पर जीवन की उत्पत्ति से जुड़े जवाब मिल सकेंगे। ऐस्टरॉइड की सतह से लिए गए सैंपल में मूल्यवान डेटा मिल सकता है क्योंकि यहां स्पेस रेडिएशन और दूसरे फैक्टर्स का असर नहीं होता है।
14 मार्च को रात में ली गई इस तस्वीर में तारों के बीच में यह चट्टान बेहद चमकदार वस्तु के रूप में नजर आ रही है। द वर्चुअल टेलिस्कोप प्रॉजेक्ट ने कहा कि यह संभावित रूप से खतरनाक चट्टान सुरक्षित तरीके से पृथ्वी की ओर आ रही है। हम इसके 21 मार्च को धरती के पास से गुजरने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। साथ ही हमने इसकी तस्वीर लेने में सफलता हासिल की है। इस ऐस्टरॉइड की रफ्तार 1,24,000 किलोमीटर प्रतिघंटा होगी।
NASA के मुताबिक 180 मीटर से 390 मीटर के बीच आकार का 2003 AF23 3 जनवरी को 63 लाख किलोमीटर की दूरी से गुजरेगा। इससे पहले 2 जनवरी को 2019 YB4 64 लाख किलोमीटर की दूरी से गुजरेगा जिसका आकार 12 मीटर के 36 मीटर के बीच हो सकता है। इसके बाद 3 जनवरी को 2020YA1 और 2020YP4 धरती के करीब से निकलेंगे। 2020YA1 15 लाख किलोमीटर और 2020YP4 21 लाख किलोमीटर दूर से निकलेगा। इनका आकार 12-37 मीटर के बीच है।
भले ही यह दूरी काफी कम लगे लेकिन छोटे आकार के कारण इन ऐस्टरॉइड्स से धरती को किसी तरह का नुकसान होने की आशंका कम है। दरअसल, वायुमंडल में दाखिल होने के साथ ही आसमानी चट्टानें टूटकर जल जाती हैं और कभी-कभी उल्कापिंड की शक्ल में धरती से दिखाई देती हैं। ज्यादा बड़ा आकार होने पर यह धरती को नुकसान पहुंचा सकते हैं लेकिन छोटे टुकड़ों से ज्यादा खतरा नहीं होता।
वहीं, आमतौर पर ये सागरों में गिरते हैं क्योंकि धरती का ज्यादातर हिस्से पर पानी ही मौजूद है। अगर किसी तेज रफ्तार स्पेस ऑब्जेक्ट के धरती से 46.5 लाख मील से करीब आने की संभावना होती है तो उसे स्पेस ऑर्गनाइजेशन्स खतरनाक मानते हैं। NASA का Sentry सिस्टम ऐसे खतरों पर पहले से ही नजर रखता है। इसमें आने वाले 100 सालों के लिए फिलहाल 22 ऐसे ऐस्टरॉइड्स हैं जिनके पृथ्वी से टकराने की थोड़ी सी भी संभावना है।
वैज्ञानिकों ने कहा कि यह ऐस्टरॉइड सुरक्षित तरीके से गुजर जाएगा और इससे हमें कोई खतरा नहीं है। इस ऐस्टरॉइड से खतरा नहीं होने के बावजूद अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने इस संभावना को खारिज नहीं किया है कि भविष्य में ऐस्टरॉइड का टकराव धरती से नहीं होगा। हालांकि इसकी आशंका कई सदी बाद की है। इसी वजह से नासा ने इसे संभावित रूप से खतरनाक ऐस्टरॉइड की श्रेणी में रखा है।
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