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ऑफिस में देर तक या बैठे-बैठै काम करने से टूट सकता है मां बनने का सपना, डॉक्‍टर ने दी चेतावनी


आदमी हो या औरत, आजकल का लाइफस्‍टाइल ही ऐसा बन गया है कि हमें ऑफिस में घंटों बैठकर काम करना पड़ता है। कुर्सी पर घंटों बैठकर काम करने के नुकसानों के बारे में तो आपने सुना ही होगा लेकिन क्‍या आप ये जानते हैं कि इसका आपकी फर्टिलिटी पर भी असर पड़ सकता है। जी हां, आज इस आर्टिकल के जरिए हैदराबाद के यशोदा हॉस्‍पीटल की इनफर्टिलिटी स्‍पेशलिस्‍ट और गायनेकोलॉजिस्‍ट डॉक्‍टर अनिथा कुनाइयाह बता रही हैं कि घंटों तक बैठकर काम करने से मर्दों और औरतों की फर्टिलिटी पर क्‍या असर पड़ता है।
डॉक्‍टर क्‍या कहती हैं – डॉक्‍टर कहती हैं कि जो वयस्‍क इनफर्टिलिटी से जूझ रहे हैं, उन्‍हें कई दीर्घकालिक स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं का अनुभव होता है। एपिडेमिओलॉजिकल रिसर्च के अनुसार सभी कपल्‍स में लगभग 10 से 15 पर्सेंट को प्रेग्‍नेंसी में प्रॉब्‍लम होती है। इनफर्टिलिटी की वजह से महिलाओं को अत्‍यधिक तनाव से गुजरना पड़ता है। इसके अलावा इनफर्टिलिटी ट्रीटमेंट के कुछ साइड इफेक्‍ट भी होते हैं जिसमें ओवेरियन हाइपर स्टिमुलेशन सिंड्रोम ब्‍लीडिंग और इंफेक्‍शन शामिल हैं।
नौकरी का इनफर्टिलिटी पर असर – औरतों को अपने काम की वजह से सबसे ज्‍यादा मानसिक तनाव होता है। स्‍ट्रेस का असर महिलाओं के प्रजनन हार्मोंस पर पड़ता है जिसकी वजह से उनके प्रेगनेंट होने के चांसेस घट सकते हैं। अगर आप भी काम करती हैं और कंसीव करने की कोशिश कर रही हैं, तो सबसे पहले अपने काम से होने वाले तनाव के स्‍तर को कम कर दें। किसी भी रूप में तनाव फर्टिलिटी के लिए सही नहीं है।
शरीर और दिमाग पर रहता है बोझ – वर्किंग वुमेन ज्‍यादा काम करने के लिए अपने शरीर और दिमाग से ज्‍यादा काम करवाती हैं जिससे उन्‍हें शारीरिक और मानसिक तनाव होता है। इसका असर उनमें हार्मोनल बदलाव के रूप में होता है और उनकी बॉडी में एस्‍ट्रोजन लेवल कम होने लगता है जो कि प्रजनन के लिए बहुत जरूरी है। इसमें मेल हार्मोन एंड्रोजन का लेवल बढ़ जाता है। इस तरह एक महिला के शरीर में हार्मोंस असंतुलित हो जाते हैं।
इन महिलाओं को ज्‍यादा रहता है खतरा – जिन महिलाओं को रोज ऐसा काम करना पड़ता है जिसमें उन्‍हें भारी सामान उठाना पड़े या भारी सामान को संभालना पड़े, उसमें उनकी फर्टिलिटी पर ज्‍यादा नेगेटिव असर पड़ने का खतरा रहता है। अगर आप ज्‍यादा झुकती, देर तक खड़ी रहती हैं या बहुत ज्‍यादा सामान उठाती हैं, तो आपमें फर्टिलिटी प्रॉब्‍लम होने का खतरा ज्‍यादा हो सकता है। वहीं जिन महिलाओं को ऑफिस में शारीरिक तनाव रहता है, उनमें एंट्रल फॉलिकल्‍स और एग की संख कम देखी गई है।
शिफ्ट का भी पड़ता है असर – जो महिलाएं रोटेशनल या नाइट शिफ्ट में काम करती हैं, उनकी भी फर्टिलिटी प्रभावित हो सकती है। इनमें एग काउंट कम होने की समस्‍या हो सकती है। इसके साथ ही दिनभर केमिकलों और रेडिएशनों के संपर्क में रहने पर भी प्रजनन क्षमता कमजोर हो सकती है। ये प्रजनन तंत्र और एग को नुकसान पहुंचा सकते हैं।