Wednesday , March 29 2023 3:12 AM
Home / News / India / हनुमान की छलांग की ओर पहला कदम-वैज्ञानिक, ISRO लॉन्च करेगा स्पेस शटल

हनुमान की छलांग की ओर पहला कदम-वैज्ञानिक, ISRO लॉन्च करेगा स्पेस शटल

space_1_1463296387तिरुअनंतपुरम. भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो (इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन) इतिहास बनाने वाली है। इसी महीने इसरो पूरी तरह से भारत में बनाए गया स्पेस शटल लॉन्च करने वाला है। श्रीहरिकोटा से लॉन्च होने वाले इस स्पेस शटल के लिए जल्द ही काउंटडाउन शुरू होने वाला है। बड़ी बात ये कि इसरो ये लॉन्चिंग रियूजेबल व्हीकल के जरिए करने वाला है। विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर के साइंटिस्ट के. सीवान के मुताबिक, ‘हनुमान की लंबी छलांग की दिशा में हमारा ये पहला छोटा कदम है।’ SUV जितना वजनी है स्पेस शटल…
– जानकारी के मुताबिक, स्पेस शटल का वजन स्पोर्ट्स यूटिलिटी व्हीकल (एसयूवी) जितना होगा।
– साइंटिस्ट्स तैयारियों को अंतिम रूप देने में जुटे हैं।
– बता दें कि कई देश रियूजेबल लॉन्च व्हीकल के आइडिया को खारिज कर चुके हैं।
– इसरो के इंजीनियर्स का मानना है कि सैटेलाइट्स को ऑर्बिट में स्थापित करने की लागत कम करने के लिए रियूजेबल रॉकेट काफी कारगर साबित हो सकता है।
– साइंटिस्ट्स की मानें तो रियूजेबल टेक्नोलॉजी के यूज से स्पेस में भेजे पेलोड की कीमत 2000 डॉलर/किलो (1.32 लाख/किलो) तक कम हो जाएगी।
ऐसे लॉन्च होगा शटल
– भारत का पहला स्पेस शटल रियूजेबल लॉन्च व्हीकल-टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेटर (RLV-TD) से लॉन्च होगा।
– ये पहली बार होगा कि शटल को लॉन्च करने के बाद व्हीकल बंगाल की खाड़ी में बने वर्चुअल रनवे पर लौट आएगा।
– समंदर के तट से इस रनवे को करीब 500 किमी दूर बनाया गया है।
– रनवे पर आने के दौरान RLV-TD की स्पीड साउंड से 5 गुना ज्यादा होगी।
– साइंटिस्ट्स का कहना है कि RLV-TD को पानी पर तैरने के लिहाज से डिजाइन नहीं किया गया।
ये कहते हैं साइंटिस्ट?
– विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर के साइंटिस्ट के सीवान के मुताबिक, ‘हनुमान की लंबी छलांग की दिशा में ये हमारा पहला छोटा कदम है।’
– RLV-TD अमेरिकन स्पेस शटल की तरह ही है।
– RLV-TD के जिस मॉडल का एक्सपेरिमेंट किया जाएगा, वह इसके अंतिम रूप से 6 गुना छोटा है।
– RLV-TD का फाइनल वर्जन बनने में 10-15 साल लगेंगे।
अमेरिकी व्हीकल्स से सबसे ज्यादा बार भेजे गए शटल
– स्पेस शटल भेजने वाले देश अमेरिका के व्हीकल का इस्तेमाल करते रहे हैं।
– इन व्हीकल्स का 135 बार इस्तेमाल हुआ और 2011 में इसे रिटायर कर दिया गया।
– अब इन व्हीकल्स से स्पेस में एस्ट्रोनॉट्स को नहीं भेजा जा सकता।
– रूस के पास एक अकेला स्पेस शटल 1989 में एक बार यूज हुआ।
– इसके बाद फ्रांस और जापान ने एक्सपेरिमेंटल फ्लाइट्स भेजीं।
– चीन ने अभी तक कोई स्पेस शटल नहीं भेजा।

About indianz xpress

Pin It on Pinterest

Share This