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विनिवेश बढ़ाने पर मोदी सरकार गंभीर, बेच सकती है 22 PSU के शेयर

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त्यौहारी सीजन में कई दिग्गज कंपनियां महासेल लेकर आई हैं। रिटेल हो या ऑनलाइन हर जगह 50 से लेकर 70 फीसद तक डिस्काउंट के ऑफर दिये जा रहे हैं। ठीक इसी तरह अब केंद्र सरकार भी अपने पीएसयू ( पब्लिक सेक्टर यूनिट) के लिए बड़ा सेल लाने पर विचार कर रही है।

एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक केंद्र सरकार अपनी 22 लिस्टेड और अनलिस्टेड कंपनियों की नियंत्रण हिस्सेदारी बेचने पर विचार कर रही है। इससे सरकार को 56,500 करोड़ रुपये का विनिवेश लक्ष्य (डिसइनवेस्टमेंट टारगेट) हासिल करने में मदद मिलेगी।
इस लिस्ट में बड़ी सरकारी कंपनियां जैसे कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, भारत अर्थमूवर्स शामिल हैं। इसके अलावा सरकार स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया (SAIL)के तीन प्लांट्स और अनलिस्टेड कंपनी सीमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया में भी अपनी हिस्सेदारी बेचने की योजना बनाई है।

दो अधिकारियों ने इस बात की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इसके लिए डिपार्टमेंट ऑफ इनवेस्टमेंट एंड पब्लिक एसेट मैनेजमेंट (दीपम) ने कैबिनेट नोट जारी किया है। इनमें से एक अधिकारी ने कहा कि कूटनीतिक विनिवेश (स्ट्रैटेजिक डिसइनवेस्टमेंट) होने जा रहा है। इसकी प्रक्रिया शुरू हो गई है। दूसरे अधिकारी ने बताया कि कैबिनेट जल्द ही इस मामले पर फैसला करेगी। इस लिस्ट में ऐसी कंपनियां भी शामिल हैं, जो मुनाफे में चल रही हैं। वहीं कुछ ऐसी भी हैं, जो मुनाफे में नहीं हैं लेकिन उनके पास काफी संपत्ति है।

इससे पहले नीति आयोग ने मुनाफे में चल रही सरकारी कंपनियों (पीएसयू) में स्ट्रैटेजिक डिसइनवेस्टमेंट के सुझाव वाली रिपोर्ट दी थी। उसी के आधार पर यह योजना बनाई गई है। आयोग ने उन कंपनियों की पहचान की थी, जिन्हें बेचा जा सकता है। वह इस मामले में दीपम के साथ मिलकर काम करेगा। प्लानिंग के तहत सरकार अनलिस्टेड कंपनियों से पूरी तरह बाहर निकल जाएगी। वह पूरी कंपनी निवेशकों को बेच देगी। वहीं, लिस्टेड कंपनियों में केंद्र सरकार अपनी हिस्सेदारी 49 पर्सेंट से कम करेगी। इससे कंपनी पर उसका नियंत्रण खत्म हो जाएगा।
केंद्र सरकार अब तक विनिवेश में दूसरे उपायों से 22,000 करोड़ रुपये ही जुटा पाई है। जबकि वित्त वर्ष 2017 में केंद्र ने 56,500 करोड़ रुपये विनिवेश टाने का लक्ष्य रखा है।
अनलिस्टेड कंपनियों में सर्टिफिकेशन इंजीनियर्स इंटरनेशनल लिमिटेड भी शामिल है। इसके अलावा हिंदुस्तान न्यूजप्रिंट और स्कूटर्स इंडिया लिमिटेड जैसी कंपनियां भी सरकार की हैं। वहीं, सेल के तीन प्लांट्स बेचने से कंपनी का मुनाफा बढ़ेगा।
कंटेनर कॉरपोरेशन मुनाफे में चल रही है। इस पर कोई कर्ज नहीं है और इसकी बाजार पूंजी 25,000 करोड़ रुपये से अधिक है। एयर इंडिया जैसी कंपनियां भी विनिवेश के लिए राडार पर हैं, लेकिन उनके बारे में फैसला कुछ समय बाद लिया जाएगा। इसकी वजह यह है कि एयर इंडिया के रिवाइवल पैकेज को लागू किया जा चुका है और सरकार देखना चाहती है कि इसका कंपनी पर क्या असर होता है। इसके नतीजे आने के बाद ही सरकार कोई और फैसला लेगी।

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