केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की ओर से मंगलवार को पेश नए आपराधिक कानूनों में पहली बार आतंकवाद यानी टेरर एक्ट के लिए अलग से प्रावधान किया गया है। इसमें कहा गया है कि अगर कोई शख्स भारत की आर्थिक स्थिरता और सुरक्षा को खतरा पैदा करता है और इसके लिए जाली नोट या सिक्के स्मगल करता है, बनाता या इन्हें सर्कुलेट करता है तो वह आतंकवादी करतूत माना जाएगा।
भारतीय न्याय संहिता विधेयक, 2023 (BNS) के अपडेटेड वर्जन में आतंकवाद के कृत्यों से निपटने वाली धारा 113 में संशोधन किया गया है। इसका उद्देश्य बीएनएस को यूएपीए के प्रावधानों के अनुरूप लाना है। इसमें ‘आतंकवादी कृत्य’ की परिभाषा में बदलाव किया गया है, जिसमें देश की आर्थिक सुरक्षा और मौद्रिक स्थिरता पर हमले शामिल हैं। हालांकि, आम जनता को धमकाने या सार्वजनिक व्यवस्था को बाधित करने को अब आतंकवादी कृत्य नहीं माना जाएगा।
भारतीय न्याय संहिता विधेयक की धारा 113(1) में प्रावधान है कि अगर कोई व्यक्ति ऐसी मंशा या हरकत करता है, जिससे देश की संप्रभुता, एकता, अखंडता को नुकसान या खतरा पैदा होता है या आतंकी घटना की मंशा रखता हो, आतंकी हमले करता हो, इसके लिए बम, हथियार, केमिकल, बॉयोलॉजिकल और जहर आदि का इस्तेमाल करता हो, जिससे जान-माल का नुकसान हो तो ऐसे मामले में दोषी शख्स को उम्रकैद या फांसी की सजा हो सकती है।
सरकारी संपत्ति को नुकसान भी आतंकी हरकत – भारतीय न्याय संहिता विधेयक की धारा 113(5) में कहा गया है कि अगर कोई शख्स भारत की रक्षा परिसंपत्ति को नुकसान पहुंचाता हो या अन्य तरह की सरकार की ऐसी संपत्ति को नुकसान पहुंचाता हो तो वह आतंकवाद यानी टेरर एक्ट माना जाएगा। इसी कानून की धारा 113(बी) में कहा गया- अगर कोई संवैधानिक पद पर बैठे या पब्लिक फंक्शनरी पर हमला करता है या अगवा करता है या ऐसी मंशा रखता है तो ऐसे मामले को भी टेरर एक्ट माना जाएगा। इससे मौत होने पर उम्रकैद और फांसी की सजा का प्रावधान है।
भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता विधेयक में आतंकवाद की परिभाषा में अब अन्य परिवर्तनों के साथ-साथ ‘आर्थिक सुरक्षा’ शब्द भी शामिल है। इस बदालाव में कहा गया है, ‘जो कोई भी भारत की एकता, अखंडता, संप्रभुता, सुरक्षा या आर्थिक सुरक्षा को धमकी देने या खतरे में डालने की नीयत के साथ या भारत या किसी दूसरे देश में लोगों में या लोगों के किसी भी वर्ग में आतंक फैलाने की नीयत के साथ कोई कार्य करता है..
Home / News / आतंकवाद की नई परिभाषा में आर्थिक सुरक्षा को खतरा भी शामिल, देखिए संशोधित बीएनस बिल में और क्या-क्या