
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ महाभियोग की ऐतिहासिक प्रक्रिया इस हफ्ते शुरू होने वाली है।
इस दौरान सबसे पहले चर्चा होगी और इसकी संवैधानिकता पर वोट पड़ेंगे कि क्या पद से हटने के बाद पूर्व राष्ट्रपति के खिलाफ कैपिटल भवन पर हमले के लिए कार्यवाही चलायी भी जा सकती है या नहीं।
इस संबंध में सीनेट में बहुमत के नेता चक शूमर और सीनेट में रिपब्लिकन नेता मिच मैककोनेल के बीच मसौदा समझौते पर बातचीत चल रही है।
संभव है कि सुनवाई के दौरान गवाह को नहीं बुलाया जाए। वहीं, पूर्व राष्ट्रपति पहले ही गवाही देने से इनकार कर चुके हैं।
डेमोक्रेटिक पार्टी के सदस्य चाहते हैं कि इसमें यूएस कैपिटल (अमेरिकी संसद भवन) पर हुए भीड़ के हिंसक हमले के लिए ट्रंप को जिम्मेदार ठहराया जाए।
सुनवाई के लिए जिन शर्तों पर सहमति बनी है उसके मुताबिक सबसे पहले इसकी संवैधानिकता पर चर्चा होगी। इसमें पूर्व राष्ट्रपति के बचाव में दलीलें भी सुनी जाएंगी।
कार्यवाही के विवरण तथा गवाहों को बुलाया जाए या नहीं इस पर सीनेट के नेता विचार-विमर्श कर रहे हैं। दलीलें रखने की प्रक्रिया बुधवार से शुरू होगी और दोनों पक्षों को 16-16 घंटे दिए जाएंगे।
इस बार प्रक्रिया के पहले की कार्यवाही के समान जटिल होने और लंबा चलने की संभावना नहीं है, जिसमें एक वर्ष पहले ट्रंप बरी हो गए थे। तब उन पर आरोप लगा था कि उन्होंने यूक्रेन पर इस बात के लिए दबाव बनाया कि वह उनके तत्कालीन प्रतिद्वंद्वी जो बाइडन को विवादों में घसीटे।
इस बार ट्रंप ने छह जनवरी की रैली में अपने समर्थकों से ‘‘लड़ने’’ का आह्वान किया था और यूएस कैपिटल में उसके बाद जो हुआ वह सारी दुनिया ने देखा। संभव है कि इस बार भी ट्रंप बेदाग निकल आएं लेकिन इस बार सुनवाई पहले के मुकाबले आधे ही वक्त में खत्म होने की उम्मीद है।
अनेक सीनेटर उस हमले के साक्षी रहे हैं और अपनी सुरक्षा की खातिर उन्हें वहां से भागना पड़ा था।
बचाव पक्ष के वकीलों ने ट्रंप की गवाही का अनुरोध अस्वीकार कर दिया है।
ट्रंप अमेरिका के ऐसे पहले राष्ट्रपति होंगे जिन्हें दो बार महाभियोग की प्रक्रिया का सामना करना पड़ेगा। वह ऐसे पहले राष्ट्रपति होंगे जिन्हें व्हाइट हाउस छोड़ने के बाद सुनवाई का सामना करना होगा।
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