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तालिबान ने जिंदा किया ‘ग्रेटर अफगानिस्तान’ का सपना… डूरंड लाइन छोड़िए, मिट सकता है आधे पाकिस्तान का नामोनिशान, जानें


पाकिस्तान और तालिबान के बीच हुए पिछले महीने के संघर्ष में भी डूरंड लाइन विवाद ही शामिल था। कतर और तुर्की ने फिलहाल पाकिस्तान और तालिबान के बीच संघर्ष विराम करवा रखा है, जिसके कभी भी टूटने का डर है। पाकिस्तान ने कहा कि तालिबान सरकार द्वारा कुछ “आश्वासन” दिए जाने के बाद सीमा पर युद्धविराम लागू रहेगा।
पिछले महीने पाकिस्तान से एक राउंड की लड़ाई लड़ने के बाद अब ग्रेटर अफगानिस्तान का नक्शा तालिबान और पाकिस्तान के बीच के टेंशन को बढ़ा रहा है। अफगानिस्तान में अल-मदरसा अल-असरिया के छात्रों ने हाल ही में तालिबान के उप-मंत्री मोहम्मद नबी ओमारी को ग्रेटर अफगानिस्तान का नक्शा गिफ्ट में दिया है। तालिबान के इस ग्रेटर अफगानिस्तान का नक्शा अगर हकीकत बनता है तो आधे पाकिस्तान का नामोनिशान मिट जाएगा।
इस नक्शे में खैबर पख्तूनख्वा (KPK), गिलगित-बाल्टिस्तान (GB) और बलूचिस्तान सहित कई पाकिस्तानी प्रांतों को अफगानिस्तान का हिस्सा दिखाया गया। हालांकि, गिलगित-बाल्टिस्तान पीओके का हिस्सा है, जिसपर पाकिस्तान ने अवैध कब्जा कर रखा है। इस नक्शे का सामने आना इसलिए एक अलग तरह के युद्ध के शुरू होने का संकेत है, क्योंकि अभी तक अफगान, ग्रेटर अफगानिस्तान के सिर्फ सपने देखा करते थे और अगर नई पीढ़ी के छात्र, उस नक्शे के साथ सामने आते हैं, तो पता चलता है कि अब ये सपना असल में लोगों के भीतर घर बना चुका है।
ग्रेटर अफगानिस्तान के सपने से क्यों बढ़ेगा कलह? – ‘ग्रेटर अफगानिस्तान’ या ‘पश्तूनिस्तान’ की थ्योरी सालों से अफगानों के मन में रही है। दरअसल, अफगानिस्तान, पाकिस्तान के साथ लगने वाली सीमा रेखा डूरंड लाइन को मानने से इनकार करता है। आपको बता दें कि डूरंड लाइन को अंग्रेजो ने 1893 में अफगानिस्तान और तत्कालीन भारत को विभाजित करने के लिए खींचा था। लेकिन अफगानों ने हमेशा से डूरंड लाइन का विरोध किया है। अफगान राष्ट्रवादी उन पश्तून-बहुल क्षेत्रों पर अपना दावा करते हैं, जो वर्तमान में पाकिस्तान का हिस्सा हैं। इसी मद्दे को लेकर अकसर पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच संघर्ष होता रहा है।