वाशिंगटन: अमेरिका ने कहा कि चीन की ओर से बढ़ते खतरे को देखते हुए ताइवान को अपने रक्षा खर्च में बढोत्तरी करनी चाहिए। अमेरिका के उप सहायक रक्षा मंत्री अब्राहम डेनमार्क ने कहा कि ओबामा प्रशासन के समक्ष ‘एक चीन’ नीति में कोई परिवर्तन नहीं है लेकिन इस मामले में नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पद संभालने के बाद उनके मंशा की भविष्यवाणी नहीं कर सकते हैं। डेनमार्क ने कहा कि चीन के सैन्य आधुनिकीकरण कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य ताइवान के साथ एकीकरण करना और इसके लिए जरूरी हो हुआ तो वह बल प्रयोग भी कर सकता है। उन्होंने कहा कि इसके मद्देनजर ताइवान को रक्षा के क्षेत्र में अपना खर्च बढाने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि ताइवान का रक्षा बजट इतना नहीं है कि वह किसी बाह्य खतरे से निपटने में सक्षम हो। ट्रंप ने हाल में ‘एक-चीन’ नीति को जारी रखने की प्रासंगिकता पर सवाल उठाए थे तथा कहा था कि जब तक बीजिंग व्यापार और अन्य मुद्दों पर रियायतें नहीं देता तब तक क्या अमेरिका को एक चीन की नीति को जारी रखना चाहिए? ट्रंप ने हाल ही में तााइवान की राष्ट्रपति साई इंग-वेन के साथ फोन पर बातचीत की थी। इससे पहले, चीन के राजनीतिक विरोध की वजह से 1979 से किसी अमेरिकी नेता और किसी ताइवानी नेता के बीच बातचीत नहीं हुई थी।