
पूरी दुनिया की निगाह बुधवार को दिखने वाले सुपरमून पर टिकी हुई है। यह घटना इसलिए बेहद खास है क्योंकि कल एक ही बार में सुपरमून, चंद्र ग्रहण और लाल रक्त चंद्रमा दिखाई देगा। इसे फ्लावर मून के नाम से भी जाना जाता है जो इस साल का पांचवां पूर्ण चंद्रमा है। वैज्ञानिकों ने जून में स्ट्राबेरी मून दिखने की भी संभावना भी जताई है। इस दौरान चंद्रमा अपने सामान्य आकार से काफी बड़ा दिखाई देगा। जिसे भारत समेत दुनियाभर के कई देशों में देखा जा सकता है।
भारत में कब दिखाई देगा? : यह सुपर इवेंट भारत में 26 मई को स्थानीय समय के अनुसार, 6.23 मिनट शाम को शुरू होगा जो 7.19 मिनट पर खत्म होगा। यह श्रीलंका, पश्चिमी चीन और मंगोलिया जैसे देशों के लिए भी दिखाई देगा। अगर रात साफ रही तो भारत में यह इवेंट थोड़ा बहुत पूरी रात दिखाई देगा। सभी पूर्णिमाओं की तरह यह पूर्व दिशा से शुरू होकर पश्चिम में खत्म होगा। पूर्ण ग्रहण की सबसे गहरी छाया करीब 15 मिनट तक ही रहेगी।
तो इसके क्या हैं मायने? सुपरमून क्या होता है? : अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने कहा कि 2021 में अन्य पूर्ण चंद्रमाओं की तुलना में फ्लावर मून पृथ्वी के सबसे निकट पहुंचेगा। जिसके कारण यह वर्ष के सबसे निकटतम और सबसे बड़े पूर्ण चंद्रमा के रूप में दिखाई देगा।पृथ्वी का चक्कर काटते समय ऐसी स्थिति बनती है जब चंद्रमा पृथ्वी के सबसे नजदीक होता है यानी सबसे कम दूरी होती है। इस दौरान कक्षा में करीबी बिंदु से इसकी दूरी करीब 28,000 मील रहती है। इसी परिघटना को सुपरमून कहा जाता है।
इसमें सुपर का क्या अर्थ है? : चंद्रमा के निकट आ जाने से यह आकार में बड़ा और चमकीला दिखता है। वैसे, सुपरमून और सामान्य चंद्रमा के बीच कोई अंतर निकालना कठिन है जब तक कि दोनों स्थिति की तस्वीरों को किनारे से ना देखें। चंद्र ग्रहण से क्या मतलब है। चंद्र ग्रहण तब लगता है जब चंद्रमा पृथ्वी की छाया में पूरी तरह या आंशिक रूप से छिप जाता है। यह परिघटना पूर्णिमा के दौरान होती है। इसलिए पहले पूर्णिमा के चंद्रमा को समझने का प्रयास करते हैं।
पृथ्वी की तरह ही चंद्रमा का आधा हिस्सा सूरज की रोशनी में प्रकाशित रहता है। पूर्ण चंद्र की स्थिति तब बनती है जब चंद्रमा और सूरज पृथ्वी के विपरीत दिशा में होते हैं। इससे रात में चंद्रमा तश्तरी की तरह नजर आता है। प्रत्येक चंद्र कक्षा में दो बार चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य दोनों के समान क्षैतिज तल पर होता है। अगर यह पूर्ण चंद्रमा से मेल खाती है तो सूरज, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीधी रेखा में आते हैं और चंद्रमा पृथ्वी की छाया से होकर गुजरेगा। इससे पूर्ण चंद्र ग्रहण होता है।
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