
कोरोना वायरस के कहर से जूझ रही दुनिया को बचाने के लिए वैज्ञानिक दिन-रात इस वैश्विक महामारी का वैक्सीन बनाने में जुटे हुए हैं। कई देशों के वैज्ञानिकों ने दावा भी किया है कि उन्होंने कोरोना वायरस की वैक्सीन बना ली है। लेकिन, विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, अभी तक कोई भी ऐसी वैक्सीन नहीं बनी है जिसे कोरोना वायरस वैक्सीन का नाम दिया जा सके।
इस बीच दुबई में आयोजित विश्व सरकार सम्मेलन में बाद में बोलते हुए डब्ल्यूएचओ के विशेष दूत डॉ. डेविड नाबारो ने कहा कि उनका मानना है कि दुनिया में सभी तक टीका पहुंचने में ढाई साल का समय लग सकता है। ब्रिटिश चिकित्सक ने कहा कि अगर साल के अंत तक टीका आ भी जाता है तो सुरक्षा और प्रभाव जांचने के लिए कुछ समय लगेगा। इसके बाद इन्हें बड़े पैमाने पर उत्पादित करने की कोशिश होगी ताकि सभी तक इसकी पहुंच हो सके फिर टीकाकरण कार्यक्रम आयोजित करना होगा।
मुझे खुशी होगी अगर मैं गलत साबित हुआ
उन्होंने कहा, मुझे खुशी होगी अगर मैं गलत साबित हुआ। इस बीच, संयुक्त राष्ट्र एड्स एजेंसी ने चेतावनी दी कि महामारी से विकासशील देशों में एड्स की दवा की आपूर्ति बाधित हो सकती है। एजेंसी ने कहा, कोरोना वायरस की महामारी को रोकने के लिए लागू लॉकडाउन और सीमा को बंद करने के फैसले से दवाओं के उत्पादन और वितरण दोनों प्रभावित हो रहे हैं, जिससे अगले दो महीनों में दवा की कीमत में वृद्धि और कमी दोनों हो सकती है।
एड्स की दवा की आपूर्ति हो सकती है बाधित
यूएन एड्स का अनुमान है कि जून 2019 में 2.4 करोड़ लोग एंटी रिट्रोवायरल नामक दवा पर जिंदा है। एजेंसी की कार्यकारी निदेशक विनी बयानीमा ने बयान में कहा कि मैं देशों और एचआईवी दवा के खरीदारों से अपील करती हूं कि मौजूदा इलाज जारी रहे, यह सुनिश्चित करने के लिए काम करें।
डेक्सामेथासोन को लेकर WHO की चेतावनी
डेक्सामेथासोन को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख ने कहा कि इसका उपयोग केवल क्लिनिकल सुपरविजन में कोरोना वायरस के गंभीर रोगियों के ऊपर ही किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि इस बात के सबूत नहीं हैं कि यह दवा हल्के रोगियों को कोरोना वायरस से मुक्त कर सकती है, बल्कि इससे नुकसान हो सकता है।
IndianZ Xpress NZ's first and only Hindi news website