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इन 5 देशों ने वायु प्रदूषण के खिलाफ ऐसे जीती जंग, भारत भी सीखे सबक


पूरी दुनिया इन दिनों वायु प्रदूषण की गंभीर समस्या को लेकर चिंतित है। कई देशों में हालात बेहद गंभीर हैं। भारत भी इन देशों में शामिल है और राजधानी दिल्ली में इन दिनों हेल्थ इमरजेंसी लागू है। दुनिया के कई शहर इस तरह के हालात का सामना कर चुके हैं लेकिन इनमे से कुछ देशों ने खास नियमों को लागू कर काफी हद तक प्रदूषण पर रोक लगाने में सफलता हासिल कर ली है। प्रदूषण के खिलाफ जंग जीतने वाले इन देशों में दुनिया की सबसे अधिक आबादी वाला देश चीन और ब्रिटेन भी शामिल है। अगर भारत सरकार प्रयास करे और इन देशों की कार्यप्रणाली से सबक ले तो प्रदूषण के खिलाफ जंग जीत सकता है। आइए जानते हैं दुनिया किन शहरों ने प्रदूषण के खिलाफ कैसे कदम उठाए और इस पर रोक लगाने में सफलता हासिल की।
लंदन : दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में से प्रमुख लंदन ने ‘टॉक्सिक चार्ज’ नाम से दस पाउंड का कर शुरू कर दिया है। 2003 से यहां मध्य लंदन में अगर कोई पेट्रोल-डीजल से चलने वाला प्रवेश करे तो उसे जुर्माना देना पड़ता है।

चीन : दिल्ली जैसे हालात जब बीजिंग में हुए तो सम-विषम सिस्टम शुरू किया गया। डीजल वाहन बंद किए गए। यहां अब एप आधारित मिनीबस सुविधा चलाई जा रही है।

नीदरलैंड : एयर प्रदूषण से बचने के लिए यहां लोग साइकिल चलाना पसंद करते हैं। सरकार की कोशिश 2025 तक सभी वाहनों को बिजली और हाइड्रोजन वाहनों में बदलना है।

पेरिस : 2015 में यहा हवा खराब हुई तो सम-विषम प्रणाली लागू कर दी गई और सार्वजनिक परिवहन को मुफ्त कर दिया गया। अब हर माह एक रविवार को कार मुक्त दिन मनाया जाता है।

जर्मनी : यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जर्मनी ने जलवायु प्रदूषण से निपटने के लिए यातायात जैसे क्षेत्रों के लिए कार्बन शुल्क शुरू किया है।
खतरनाक स्तर पर भारत की स्थिति
अमेरिका के हेल्थ इफेक्ट्स इंस्टीट्यूट की वायु प्रदूषण पर एक वैश्विक रिपोर्ट ‘स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर 2019’ में भारत में बढ़ते वायु प्रदूषण के बारे में चेताया गया है। इस रिपोर्ट के मुताबिक वायु प्रदूषण की वजह से 2017 में स्ट्रोक, मधुमेह, दिल का दौरा, फेफड़े के कैंसर या फेफड़े की पुरानी बीमारियों से पूरी दुनिया में करीब 50 लाख लोगों की मौत हुई। इसमें सीधे तौर पर पीएम 2.5 के कारण 30 लाख लोगों की मौत हुई. इसमें से करीब आधे लोगों की मौत भारत व चीन में हुई है।विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में बढ़ते वायु प्रदूषण के चलते देश में मानसून के दौरान होने वाली बारिश में कमी आ सकती है। इस रिपोर्ट में यह भी कहा है कि भारत में घरेलू कारणों की वायु प्रदूषण में हिस्सेदारी 22-52 प्रतिशत है। इसके मुताबिक अगर घरों में ईंधन के रूप में केरोसीन या लकड़ी का इस्तेमाल बंद कर दिया जाए तो इस तरह के प्रदूषण को काफी कम किया जा सकता है।
भारत पर्यावरण सूचकांक में 177वें स्थान पर
भारत की पर्यावरण स्थिति की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत वैश्विक पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक में 177वें पर है। यह सूचकांक हर दो साल में जारी होता है। 2016 में में 141वें स्थान पर था। यानि रिपोर्ट के अनुसार प्रदूषण में यहां स्थिति गंभीर हो रही है और प्रयास कम। भारत में वायु प्रदूषण मौत की बड़ी वजह बनता जा रहा है। 2017 में ही भारत में तकरीबन 12 लाख लोगों की मौत वायु प्रदूषण की वजह से हुई है। रिपोर्ट के मुताबिक ऐसा करने से हर साल 20 लाख लोगों की जिंदगी बचाई जा सकती है। एशिया में वायु प्रदूषण के होने वाली अकाल मौतों के मामले में भारत शीर्ष पांच देशों में शामिल है. इस सूची में सबसे ऊपर उत्तर कोरिया है और फिर चीन। एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया भर के 20 सबसे प्रदूषित शहरों में से 14 भारत के हैं।