Saturday , July 27 2024 4:38 PM
Home / Lifestyle / इन बच्‍चों को अपने पर नहीं होता एक पर्सेंट भी भरोसा, कोने में बैठकर खुद को कोसते रहते हैं

इन बच्‍चों को अपने पर नहीं होता एक पर्सेंट भी भरोसा, कोने में बैठकर खुद को कोसते रहते हैं


हर बच्‍चा अलग होता है, कोई बातूनी होता है, तो कोई बच्‍चा कम बोलना पसंद करता है। कुछ बच्‍चे शर्मील होते हैं, तो वहीं कुछ बच्‍चे लोगों से घुलना-मिलना पसंद करते हैं। ऐसा ही कुछ बच्‍चों में कॉन्फिडेंस को लेकर भी होता है।
आपने देखा होगा कि कुछ बच्‍चे आत्‍मविश्‍वास से भरे होते हैं लेकिन वहीं दूसरी ओर कुछ बच्‍चों में कॉन्फिडेंस बिलकुल भी नहीं होता है। ऐसे बच्‍चों की पहचान कैसे की जा सकती है?
इस आर्टिकल में हम आपको बता रहे हैं कि जिन बच्‍चों या छात्रों में आत्‍मविश्‍वास की कमी होती है, उनमें क्‍या लक्षण नजर आते हैं।
आत्‍म-सम्‍मान में कमी – आत्‍म-सम्‍मान और आत्‍मविश्‍वास एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। जिन बच्‍चों में आत्‍म-सम्‍मान की कमी होती है, वो डर की वजह से स्‍कूल या अन्‍य किसी एक्टिविटी में हिस्‍सा नहीं लेते हैं। उन्‍हें लगता है कि वो ये नहीं कर पाएंगे और खुद को हर चीज से पीछे खींच लेते हैं। ये बच्‍चे अपने ही डेस्‍क पर अकेले बैठे रहने में ही खुश रहते हैं।
अपनी ही आलोचना करना – जिन बच्‍चों में आत्‍मविश्‍वास की कमी होती है, वो खुद अपनी ही आलोचना करना शुरू कर देते हैं। ये छोटी-सी बात पर भी खुद को कोसने लगते हैं। अगर आप भी अपने बच्‍चे में इस लक्षण को देख रहे हैं, तो समझ जाइए कि उसमें आत्‍मविश्‍वास की कमी है।
तारीफ नहीं सुन पाते – अगर किसी बच्‍चे में आत्‍मविश्‍वास कम होता है, तो वो अपनी तारीफ नहीं सुन पाते हैं। उन्‍हें लगता है कि सामने वाला उनके बारे में जो भी कह रहा है वो या तो गलत है या फिर उसे गलतफहमी हुई है। वो अपनी ही नहीं दूसरों की नजरों और नजरिए पर भी विश्‍वास नहीं कर पाते हैं।
फैसले नहीं ले पाते हैं – ये बच्‍चे अपने फैसले खुद नहीं ले पाते हैं। इन्‍हें लगता है कि ये इतने काबिल नहीं हैं कि अपने फैसले खुद ले सकें और अगर कोई निर्णय ले भी लें तो इन्‍हें हमेशा उसके गलत साबित होने का डर लगा रहता है। इनके फैसले अक्‍सर दूसरे लेते हैं क्‍योंकि ये खुद इसके लिए कभी तैयार ही नहीं हो पाते हैं।
खुद को भूल जाते हैं – आत्‍मविश्‍वास के मामले में कमजोर बच्‍चे दूसरों के सामने अपने आपको कम तवज्‍जो देते हैं। ये अपने ऊपर ज्‍यादा ध्‍यान नहीं देते हैं। इसके अलावा ये बच्‍चे नेगेटिविटी से घिरे रहते हैं। इनके आसपास आशा की किरण दिख भी जाए, तो ये ओवरथिंकिंग से उसे गवां देते हैं।
अगर आपको अपने बच्‍चे में भी इस तरह के संकेत दिख रहे हैं, तो संभल जाइए। अगर बचपन में ही इस प्रॉब्‍लम को पहचान कर, इसका समाधान कर लिया जाए, ताे इससे बच्‍चे के भविष्‍य को सुधारा जा सकता है और बच्‍चा बड़ा होकर आत्‍मविश्‍वासी बन सकता है। अपने बच्‍चे का कॉन्फिडेंस बढ़ाने के लिए आप उसके कामों की तारीफ करें और वो जो भी काम करता है, उसके लिए उसे मोटिवेट करें।