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दुनिया की नजरों में खराब होते हैं ये पेरेंट्स, बच्‍चे की जिंदगी में मचा देते हैं खलबली


बच्‍चों की परवरिश के लिए आजकल अलग-अलग तरीके और पेरे‍ंटिंग स्‍टाइल प्रचलन में हैं। अब तो ऐसा भी नहीं है कि एक बच्‍चे की परवरिश में एक ही पेरेंटिंग स्‍टाइल काम कर जाए या घर में दो बच्‍चे हैं, तो दोनों पर एक ही पेरेंटिंग स्‍टइल काम कर जाए। हर बच्‍चे की परवरिश अलग तरीके से करनी पड़ती है।
आजकल आल्‍मंड पेरेंटिंग बहुत चल रही है इसलिए आज हम आपको पालन-पोषण के इस तरीके बारे में बताने जा रहे हैं। अगर आप भी एक पेरेंट हैं, तो आपको इस नए पेरेंटिंग स्‍टाइल के बारे में पता होना चाहिए।
क्‍या है आल्‍मंड पेरेंटिंग – अल्मंड मॉम शब्द सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, खासकर एक वीडियो क्लिप के बाद जिसमें योलान्डा हदीद ने अपनी बेटी गीगी हदीद से कहा कि वह सिर्फ कुछ बादाम खाकर उन्हें अच्छी तरह चबाए। यह शब्द उन माता-पिताओं के लिए प्रयोग किया जाता है जो अपने बच्चों की अनहेल्‍दी ईटिंग हैबिट्स पर सख्त प्रतिबंध लगाते हैं।
इससे बच्चों में नेगेटिव बॉडी इमेज और खान-पान संबंधी विकार उत्पन्न हो सकते हैं। यह अवधारणा सोशल मीडिया पर तेजी से फैली और लोगों ने अपने अनुभव भी शेयर किए।
डाइट कल्‍चर से आते हैं ये – ये माता-पिता डाइट कल्चर से अत्यधिक प्रभावित होते हैं। वे अपने शरीर के आकार और वजन को लेकर इतने चिंतित रहते हैं कि वे अपने परिवार के सदस्यों को भी इसी मानसिकता में ढालने की कोशिश करते हैं। वे न केवल खुद के खाने-पीने पर सख्त नियंत्रण रखते हैं, बल्कि अपने परिवार के खाने-पीने पर भी नजर रखते हैं। इस प्रकार के व्यवहार को समझने के लिए पहले डाइट कल्चर और उसकी भूमिका को समझना आवश्यक है।
डाइट कल्‍चर क्‍या है – डाइट कल्चर एक ऐसी विश्वास प्रणाली है जो इस विचार पर आधारित है कि हमारा मूल्यांकन हमारे बाहरी रूप पर आधारित होता है। यह पतलेपन को स्वास्थ्य से ज्यादा महत्व देता है और वजन घटाने को समाज में प्रतिष्‍ठा पाने का तरीका माना जाता है।
इस विश्वास प्रणाली ने हमारे समाज में शरीर के आकार और वजन घटाने के प्रति जुनून पैदा किया है, चाहे इसका हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर कितना भी नकारात्मक प्रभाव पड़े।
क्‍या हो सकती है प्रॉब्‍लम – डाइटिंग भोजन की मात्रा को नियंत्रित करने का एक तरीका है जिसका उद्देश्य वजन घटाना होता है। हालांकि, डाइट कई कारणों से समस्याजनक हो सकती है, लेकिन सबसे स्पष्ट कारण यह है कि इनमें फूड रिस्‍ट्र‍िक्‍शन और कैलोरी काउंट शामिल होता है। ये भोजन संबंधी विकारों के व्यवहार की तरह होते हैं।
खाने पर लेबल न लगाएं -जब हम किसी खाद्य पदार्थ को “बुरा” या “अच्छा” लेबल करते हैं, तो यह गलत होता है। खाने को लेबल करने से आपका उसके साथ रिश्‍ता भी खराब होता है। जब माता-पिता अपने बच्चों को खाद्य पदार्थों को नैतिक दृष्टिकोण से मूल्यांकित करने की शिक्षा देते हैं, तो वे उन्हें भोजन के साथ एक नकारात्मक संबंध सिखाते हैं।