
श्रीमद्भगवद्गीता में जितने भी उपदेश दिए गए हैं, वह आज के समय में भी हर किसी के काम आते हैं। कहते हैं उन उपदेशों में जीवन का हर सार छिपा हुआ है। इन वचनों में जीवन के हर अनुभव के बारे में विस्तार से बताया गया है। व्यक्ति के जन्म लेने से मृत्यु तक और उसके बाद के चक्र को श्रीमद्भगवद्गीता में विस्तार से बताया गया है। आज हम आपको उन्हीं में से कुछ उपदेशों के बारे में बताने जा रहे हैं।
गीता के उपदेश में बताया गया है कि जो व्यक्ति बिना वजह किसी पर संदेह करता है, वह कभी खुश नहीं रह सकता। संदेह करने पर रिश्तों में कड़वाहट पैदा होती है और दूरियां आती हैं।
ऐसा बताया गया है कि वासना, गुस्सा और लालच- ये तीनों चीजें नरक के द्वार हैं। अगर आपको सुखी रहना है तो आपको इन तीनों चीजों से दूर रहना चाहिए। वरना आप मुश्किल में पड़ सकते हैं।
कहा जाता है कि जो भी जीव जन्म लेता है उसकी मृत्यु भी निश्चित है। इसलिए जो चीज निश्वित है उसके लिए शोक या पछतावा किस बात का करना है। इसलिए कहते हैं कि किसी के भी मरने पर रोना नहीं चाहिए।
गीता के सार में बताया गया है कि अगर कोई व्यक्ति बुद्धिमान है तो उसे समाज की भलाई के लिए भी काम करना चाहिए। ऐसे व्यक्ति को बिना किसी स्वार्थ के समाज के लिए भी योगदान देना चाहिए।
गीता के उपदेशों में एक यह भी है कि जो व्यक्ति भगवान को याद करते हुए मृत्यु को प्राप्त होता है वह सीधा भगवान के धाम को प्राप्त होता है।
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