
अफगान तालिबान के बुद्धिजीवी और विचारक कहे जाने वाले शेख हमासी ने हाल ही में अपनी सरकार को क्रिकेट पर ज्यादा ध्यान देने के लिए फटकार लगाई थी। हमासी ने कहा कि अपना मकसद छोड़कर तालिबान के लोग क्रिकेट देख रहे हैं। अब एक और कमांडर ने सवाल खड़े किए हैं।
तालिबान के शीर्ष कमांडर ने संगठन के नेतृत्व पर गंभीर आरोप लगाए हैं। तालिबान के ताजिक कमांडर अब्दुल हामिद खोरासानी ने कहा है कि अफगानिस्तान की तालिबान सरकार में पश्तूनों को जरूरत से ज्यादा तरजीह मिल रही है और बाकी लोगों की कोई अहमियत नहीं है। अगर तालिबान का नेतृत्व इसी तरह का भेदभाद करता रहा तो संगठन का पतन की ओर जाना निश्चित है। अब्दुल हामिद का कहना है कि तालिबान में जो गैर पश्तून सदस्य हैं, उनके लिए तालिबान सरकार का का व्यवहार युद्धबंदियों, गुलामों और नौकरों जैसा है।
अफगानिस्तान इंटरनेशनल की रिपोर्ट के मुताबिक अब्दुल हामिद खोरासानी ने कहा, यह एक इस्लामिक शासन नहीं है, बल्कि कंधारी और जादरान जनजातियों का एक जातीय शासन है। तालिबान दूसरे लोगों और विशेषकर महिलाओं को एक जानवर के बराबर भी महत्व नहीं देता है। शुक्रवार को अफगानिस्तान इंटरनेशनल को भेजे गए एक संदेश में खोरासानी ने कहा कि तालिबान नेतृत्व के पास निष्पक्ष दृष्टिकोण नहीं है और सत्ता पर एक विशिष्ट समूह का एकाधिकार है। अभी तक तालिबान अधिकारियों ने खोरासानी के बयानों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
लोगों को धोखा दे रहा है तालिबान – खोरासानी ने दावा किया कि तालिबान अधिकारी मीडिया के सामने बयान जारी कर जनता को धोखा देते हैं और अपने कमरों में बैठकर लोगों का मजाक उड़ाते हैं और उन्हें घृणा की दृष्टि से देखते हैं। खोरासानी ने तालिबान के व्यवहार को मूर्खतापूर्ण बताते हुए कहा कि इस प्रवृत्ति को जारी रखने से पश्तूनों की इस सत्ता का का विनाश हो जाएगा। उन्होंने अपनी टिप्पणी को यह कहकर उचित ठहराया कि उन्होंने तालिबान के व्यवहार को व्यक्तिगत रूप से देखा है।
खोरासानी का मानना है कि कारी फसीहुद्दीन सहित ताजिक और उज्बेक तालिबान प्रतिनिधियों की उपस्थिति सिर्फ प्रतीकात्मक है और उनके पास अधिकारों की कमी है। तालिबान कमांडर ने दावा किया कि तालिबान के चीफ ऑफ स्टाफ कारी फसीहुद्दीन को देश छोड़ने से मना कर दिया गया है और उसके आदेश रक्षा मंत्रालय में लागू नहीं किए जा रहे हैं।
खोरासानी ने कहा कि तालिबान जो प्रचार करता है वह इस्लाम की शिक्षा नहीं है बल्कि अज्ञानी पश्तून आदिवासियों के एक समूह की जहालत है। यह पहली बार नहीं है जब अब्दुल हामिद खोरासानी ने तालिबान पर जातीय पक्षपात का आरोप लगाया है और समूह की कड़ी आलोचना की है। जून 2023 में खोरासानी ने कहा था कि वह पिछली सरकार की तुलना में तालिबान के इस बार के शासन में ज्यादा अपमानित महसूस कर रहा हूं।
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