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चीनी पनडुब्बी को हवा में सूंघ लेगा यह अमेरिकी ‘शिकारी’, समुद्र में भारत के दुश्मनों का बनेगा साक्षात काल


भारतीय नौसेना एमक्यू-9बी सी गार्जियन मीडियम एल्टीट्यूड लॉन्ग-एंड्योरेंस (एमएएलई) ड्रोन को सोनोबॉय से लैस करने की योजना बना रही है। यह एक ऐसा उपकरण है, जो हिंद महासागर क्षेत्र में छिपी चीनी पनडुब्बियों को न सिर्फ पता लगाने में माहिर है, बल्कि उन्हें आसानी से ट्रैक भी कर सकता है। एमक्यू-9बी सी गार्जियन ड्रोन को भारत ने अमेरिका से खरीदा है। इस ड्रोन की खरीद के लिए भारत ने जून में अमेरिका के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इसके अनुसार, भारत को तीनों सेनाओं के लिए 31 एमक्यू-9 सी और स्काई गार्जियन ड्रोन मिलने हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, इन 31 ड्रोन में से 15 भारतीय नौसेना के लिए हैं। बाकी के 16 ड्रोन में से 8-8 भारतीय वायु सेना और भारतीय सेना के लिए हैं। भारतीय नौसेना पहले से ही इस ड्रोन के निर्माण करने वाली कंपनी जनरल एटॉमिक्स से लीज पर 2020 से दो एमक्यू-9बी सी गार्जियन ड्रोन संचालित कर रही है। भारत में गार्जियन ड्रोन की पहली कमांडर लेफ्टिनेंट कमांडर वर्षा ने कहा कि नए ड्रोन अत्याधुनिक हथियारों से लैस होंगे, जिनमें हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइलें, बम और सोनोबॉय से लैस पनडुब्बी का पता लगाने वाली किट शामिल होंगी। जो छिपी हुई दुश्मन पनडुब्बियों का पता लगाने में मदद कर सकता है।
भारत को मिलने वाले ड्रोन में लगा होगा सोनोबॉय – उन्होंने बताया कि सोनोबॉय मैनेजमेंट एंड कंट्रोल सिस्टम और सोनोबॉय डिस्पेंसिंग सिस्टम भारत को मिलने वाले सी गार्जियन ड्रोन के वेपन पैकेज का हिस्सा होंगे। जनरल एटॉमिक्स के अनुसार, ड्रोन अपने चार पंखों वाले पायलन पर चार एसडीएस पॉड ले जा सकता है, जिससे यह 40 ‘ए’ साइज या 80 ‘जी’ साइज के सोनोबॉय को आसानी से तैनात कर सकता है। सोनोबॉय एक छोटा उपकरण है जिसका उपयोग पानी के भीतर आवाज की निगरानी के लिए किया जाता है। इसमें हाइड्रोफोन होते हैं जो पानी के भीतर की आवाजों का पता लगाते हैं, खासकर पनडुब्बियों से पैदा की जाने वाली आवाजों का।
पी-8आई के साथ घातक जोड़ी बनाएगा सी गार्जियन – ये उपकरण विमान या जहाजों से तैनात किए जाते हैं और वास्तविक समय के वाइस डेटा को कम्यूनिकेट करते हैं, जिससे संभावित पनडुब्बी खतरों का पता लगाने में मदद मिलती है। P-8I लंबी दूरी के पनडुब्बी रोधी युद्धक विमान के साथ ये सिस्टम भारतीय नौसेना को हिंद महासागर की गहराइयों में छिपी चीनी और पाकिस्तानी पनडुब्बियों का शिकार करने में सक्षण बनाएंगे। सी गार्जियन ड्रोन अपने 1200 नॉटिकल मील की रेंज और कम मेंटीनेंस और कम ऑपरेशनल कॉस्ट के कारण लंबे समय तक समुद्र की निगरानी करने में सक्षम होगा। पनडुब्बी का पता लगने के बाद पी-8आई अपनी तेज गति से कम समय में उस जगह पर पहुंच कर टॉरपीडों से हमला कर सकता है।