
पाकिस्तान स्थित सबसे ऊंची पहाड़ी के2 पर एक और पर्वतारोही की मौत हो गई है। ये पर्वतारोही ऑस्ट्रेलिया का था और वो इस पहाड़ को चढ़ने की कोशिशों में मारा गया। के2 दुनिया का दूसरा सबसे ऊंचा पहाड़ है। बताया जा रहा है कि ऑस्ट्रेलियाई पर्वतारोही पहाड़ से गिर गया और उसने दम तोड़ दिया। ऑस्ट्रेलिया और पाकिस्तान के अधिकारियों की तरफ से इस बात की जानकारी दी गई है। फिलहाल उसके शव की तलाश जारी है। इस हफ्ते ये ऐसा तीसरा हादसा है। इससे पहले कनाडा के दो पर्वतारोहियों का भी कुछ पता नहीं चल पा रहा था। इसके बाद इनके शव के2 के कैंप 1 और कैंप 2 के बीच बरामद हुए थे। के2 पाकिस्तान की सबसे खतरनाक पर्वत श्रृंखला है। जानिए आखिर क्यों इसे दुनिया की सबसे खतरनाक जगह करार दिया जाता है।
चीन-पाकिस्तान बॉर्डर पर K2 : चीन-पाकिस्तान के बॉर्डर पर स्थित के2 को दुनिया की सबसे जानलेवा जगह माना जाता है। इसकी ऊंचाई 8,611 मीटर यानी 28,251 फीट है। जबकि माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई 8848 मीटर है। साल 2008 में यहां एक ही दिन में 11 पर्वतारोही यहां चढ़ते वक्त मारे गए थे। वो अब तक का सबसे भयानक हादसा था। साल 1954 से लेकर अब तक इसे जीतने की कोशिशों में 87 पर्वतारोहियों की जान चली गई है। पाकिस्तान अल्पाइन क्लब के सेक्रेटरी करार हैदरी कहते हैं कि अभी तक सिर्फ 377 पर्वतारोही ही इसे फतह कर पाए हैं।
अगर माउंट एवरेस्ट की बात करें तो 9,000 बार उसे जीता गया है और जबकि 300 लोग इस कोशिशों में मारे गए हैं। के2 की लोकेशन सबसे ज्यादा चैलेंजिंग है। काराकोरम रेंज पर स्थित के2 की सबसे बड़ी चुनौती ही इसका पाकिस्तान में होना है। ये जगह अपने आप में काफी खतरनाक है और यहां पर दाखिल होना अपने आप में बड़ी चुनौती है क्योंकि पाक वो देश है जो टूरिस्ट के लिए अच्छा नहीं माना जाता है। ऐसे में इस देश का वीजा मिलना भी अपने आप में एक बड़ी चुनौती है।
जीतने की हर कोशिश नाकाम : के2 एक ग्लेशियर है जो बाकी ग्लेशियर्स की तरह नहीं है। यहां पर ट्रेकिंग अपने आप में टेढ़ी खीर है। ग्लेशियर और पहाड़ की बर्फ की वजह से इस पर चढ़ना बहुत मुश्किल होता है। माना जाता है कि 20 में से सिर्फ एक पर्वतारोही ही इस पर्वत चोटी पर चढ़ने में सफल हो पाता है। इस वजह से इसे दुनिया का सबसे खतरनाक पहाड़ माना जाता है. K2 पर मौत की दर 25 फीसदी से ज्यादा है जबकि एवरेस्ट पर मृत्यु दर महज 6.5 प्रतिशत ही है। के2 पर सर्दियां सबसे खतरनाक होती हैं। उस मौसम में यहां पर हवा की रफ्तार 200 किलोमीटर प्रति घंटे की होती है और तापमान -60 डिग्री तक चला जाता है।
सर्दी के मौसम में सिर्फ 8 बार इसे फतह करने की कोशिशें की गई हैं और सिर्फ एक में ही सफलता हासिल हो पाई है। के2 पर प्रकृति भी कम निर्दयी नहीं होता है। यहां पर नेविगेशन में सबसे ज्यादा मुश्किलें आती हैं। कई पर्वतारोही रास्ता भी भटक जाते हैं। 80 डिग्री की सीधी पहाड़ियां किसी को भी मौत के मुंह में ले जाने के लिए काफी हैं। इसके अलावा हिमस्खलन का कोई तय समय नहीं है। किसी भी समय बर्फीला तूफान आपकी जान ले सकता है। ग्लेशियर की चोटियों में कभी भी ब्लास्ट हो जाता है।
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