
4 अगस्त 2019 देर शाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अचानक राष्ट्रपति भवन पहुंचे। उनके राष्ट्रपति भवन पहुंचने की जानकारी चुनिंदा लोगों को पता थी। वह राष्ट्रपति भवन जिस कार से गए वह कोई खास सुरक्षा वाली कार नहीं थी। और न ही उनके साथ उनका पूरा सुरक्षा घेरा चला। कार में वह अकेले ही बैठकर राष्ट्रपति भवन पहुंचे। प्रधानमंत्री को किसी खास फैसले की जानकारी राष्ट्रपति को देनी थी। राष्ट्रपति के साथ कम्युनिकेशन गैप कभी नहीं रहा और पीएम मोदी इस बार भी वही फॉलो कर रहे थे। प्रधानमंत्री आर्टिकल 370 को खत्म करके जम्मू और कश्मीर की विशेष स्थिति को खत्म करने के अपने सरकार के महत्वपूर्ण फैसले के बारे में तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को जानकारी देने गए थे। यह गोपनीयता विरोधियों को आश्चर्यचकित करने की बड़ी योजना का हिस्सा थी, जिन्होंने किसी बदलाव के लिए बीजेपी के किसी भी कदम का विरोध करने की कसम खाई थी।
इस पूरी स्थिति से वाकिफ पीएम मोदी ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक, 2019 को राज्यसभा में पेश करने का जोखिम उठाया। वह भी तब जब राज्यसभा में एनडीए के पास बहुमत नहीं था। बिल को पहले लोकसभा में पेश नहीं किया गया जहां बीजेपी को अकेले दम पर बहुमत हासिल था। पीएम मोदी ने ‘गुप्त’
पटकथा इसलिए लिखी क्योंकि उनका मानना था कि पहले लोकसभा में बिल लाने से विपक्ष सतर्क हो जाता और इसे राज्यसभा में रोकने और अपनी संख्या अधिक करने में विपक्ष जुट जाता।
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