
भगवान के हर मंत्र में इतनी ताकत होती है कि सच्चे मन से और गहरी आस्था के साथ मंत्रोच्चार किया जाए तो इन्हीं से ही हर बीमारी का इलाज भी किया जा सकता है। अथर्ववेद में मंत्रों से रोग निदान, तंत्र-मंत्र साधना सहित कई अनूठे रहस्य बताए गए हैं। पुराने समय में लोग वेद मंत्रों की साधना से अनेक रोगों से छुटकारा पाते थे और आज भी इसके प्रमाण देखने को मिलते है। आज आपको कुछ बीमारियों के साथ उन मंत्रों के बारे में बताएंगे जिनके जाप से अनेक रोग दूर किए जा सकते हैं।
गुर्दा से संबंधी रोगों के लिए जैसे मूत्र, पथरी और अन्य रोग के लिए किसी भी रविवार को सुबह सुर्य के सामने ताबें के पात्र में जल भर कर उसमें पत्थरचट्टा के पत्तों का रस निकालकर उस पानी में डालकर सूर्य के प्रकाश में दो-तीन घंटे रहने दें। उसके बाद सूर्य को ही देखते हुए जल पीएं और नीचे दिए मंत्र का 101 बार जाप करें।
विद्या शरस्य पितरं सूर्यं शतवृष्णयम्।
अमूर्या उप सूर्ये याभिर्वा सूर्य सह।।
ता नो हिन्वन्त्वध्वरम्।।
ॐ भास्कराय नम:।
हड्डियों के रोग से संबंधी जैसे जोड़ों में दर्द से निजात पाने के लिए रविवार प्रातः जल्दी उठकर शुद्ध जल में घृतकुमारी का थोड़ा रस डालकर कुछ घंटों के लिए सूर्य की किरणों में रखें और इस मंत्र का जाप 101 बार तीन महीनों तक जाप करने से लाभ मिलता है।
अंगे अंके शोचिषा शिश्रियाणं नमस्यन्तस्त्वा हविषा विधेम।
ॐ सूर्याय नम:।।
अथर्ववेद में सामान्य डिलीवरी के लिए भगवान सूर्य की उपासना पर जोर दिया गया है। हर रविवार सूर्य देव को जल देकर उनके ताप में जितना हो सके रहना उत्तम माना गया है। तेजस्वी संतान प्राप्ति के लिए रविवार से इस मंत्र का 51 बार पाठ करें।
विते भिनऽमेहनं वि योनिं वि गवीनिके।
वि मातरं च पुत्रं च विकुमारं जरायुणाव जरायु पद्यताम्।।
दिल से संबंधी बीमारियों से निदान पाने के लिए सूर्य उपासना सर्वोत्तम मानी गई हैं। सुबह उठकर सूर्य नमस्कार और प्राणायाम करना चाहिए। प्रतिदिन सूर्योपासना करते समय “ॐ रवये नम:” काजाप करना उत्तम होता है। रविवार या सोमवार कम से कम 21 बार इस मंत्र का जाप करें।
मुंच शीर्षक्तया उत कास एनं परस्पराविशेषा यो अस्य।
ॐ आदित्याय नम:।।
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