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भारत पहुंचे तीन और राफेल लड़ाकू विमान, नॉन स्टॉप पूरा किया 7000 किमी का सफर


भारतीय वायुसेना की फायर पॉवर को बढ़ाने के लिए तीन और राफेल लड़ाकू विमान भारत पहुंच गए हैं। इन तीनों लड़ाकू विमानों ने बोर्डोक्स से अंबाला तक का सफल बिना रूके पूरा किया है। सफर के दौरान इन विमानों में संयुक्त अरब अमीरात के एयर रिफ्यूलिंग एयरक्राफ्ट (MRTT) के जरिए ईंधन भरा गया। भारतीय वायुसेना ने ट्वीट कर बताया कि ये विमान एयरफोर्स के बेस पर उतर चुके हैं। एयरफोर्स ने एयरबेस के नाम का खुलासा नहीं किया है।
एयरफोर्स बेस पर उतरे राफेल विमान : भारतीय वायुसेना ने मिड एयर रिफ्यूलर के जरिए ईंधन भरने पर यूएई की एयरफोर्स को धन्यवाद किया। रिपोर्ट है कि इन विमानों ने जामनगर एयरफोर्स स्टेशन पर लैंड किया है। यहां कस्टम संबंधी सभी औपचारिकता पूरी करने के बाद विमान दोबारा उड़ान भरकर अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पहुंचेंगे। जहां इन्हें 17 गोल्डन एरो स्क्वॉड्रन में शामिल किया जाएगा। इन तीन विमानों के भारत पहुंचने के बाद एयरफोर्स के बेड़े में राफेल की संख्या 11 हो गई है। बता दें कि पांच राफेल विमानों के पहले बैच को 10 सितंबर को भारतीय वायुसेना में कमीशन किया गया था। इसके बाद नवबंर 2020 में तीन और राफेल विमान भारत पहुंचे थे।
1000 किमी प्रतिघंटा की स्पीड से पहुंचे राफेल : इन राफेल विमानों ने फ्रांस से भारत तक का सफर पूरा करने के दौरान लगभग 1000 किमी प्रतिघंटे की गति से उड़ान भरी। हालांकि, राफेल की अधितकम स्पीड 2222 किमी प्रति घंटा है। ये राफेल विमान पूर्ण रूप से कॉम्बेट रेडी पोजिशन में हैं। जिन्हें कुछ दिनों के अंदर ही किसी भी ऑपरेशन में लगाया जा सकेगा।
भारत ने राफेल में कराए मोडिफिकेशन : चीन से लगती सीमा में चरम तापमान को देखते हुए इस विमान में भारत ने अपने हिसाब से कुछ मोडिफिकेशन भी करवाएं हैं। जिससे कम तापमान में भी यह विमान आसानी से स्टॉर्ट हो सकता है। पहले बैच में भारत पहुंचे 5 राफेल विमानों के 250 घंटे से भी ज्यादा की उड़ान और फील्ड फायरिंग टेस्ट किए जा चुके हैं। इन विमानों को अंबाला में 17 गोल्डन एरो स्क्वाड्रन में शामिल किया गया है।
चीन के जे-20 पर भारी पड़ेगा राफेल : भारतीय राफेल के मुकाबले में चीन का चेंगदू J-20 और पाकिस्‍तान का JF-17 लड़ाकू विमान हैं। मगर ये दोनों ही राफेल के मुकाबले थोड़ा कमतर हैं। चीनी J-20 का मेन रोल स्‍टील्‍थ फाइटर का है, वहीं राफेल को कई कामों में लगाया जा सकता है। J-20 की बेसिक रेंज 1,200 किलोमीटर है जिसे 2,700 किलोमीटर तक बढ़ाया जा सकता है। J-20 की लंबाई 20.3 मीटर से 20.5 मीटर के बीच होती है। इसकी ऊंचाई 4.45 मीटर और विंगस्‍पैन 12.88-13.50 मीटर के बीच है यानी यह राफेल से खासा बड़ा है। पाकिस्‍तान के पास मौजूद JF-17 में चीन ने PF-15 मिसाइलें जोड़ी हैं मगर फिर भी यह राफेल के मुकाबले में कमजोर है।
अगले साल के अंत तक भारत आ जाएंगे सभी राफेल : भारत ने फ्रांस के साथ 36 राफेल विमानों की खरीद के लिए सौदा किया था। 36 राफेल विमानों में से 30 लड़ाकू विमान होंगे और छह प्रशिक्षण विमान। प्रशिक्षण विमानों में दो सीट होंगी और उनमें लड़ाकू विमान वाली लगभग सभी विशेषताएं होंगी। राफेल विमान, रूस से सुखोई विमानों की खरीद के बाद 23 वर्षों में लड़ाकू विमानों की भारत की पहली बड़ी खरीद है।
फ्लाईपास्‍ट शुरू होते ही राफेल लड़ाकू विमान ने हवा में करतब दिखाने शुरू कर दिए। पांचों विमान अलग-अलग तरह के मैनूवर्स कर चीन और पाकिस्‍तान को साफ संदेश दे रहे थ‍े कि इसके वार से बच पाना बड़ा मुश्किल है।
राफेल को भारत की जरूरतों के हिसाब से मॉडिफाई किया गया है। राफेल की रेंज 3,700 किलोमीटर है, यह अपने साथ चार मिसाइल ले जा सकता है। राफेल की लंबाई 15.30 मीटर और ऊंचाई 5.30 मीटर है। राफेल का विंगस्‍पैन सिर्फ 10.90 मीटर है जो इसे पहाड़ी इलाकों में उड़ने के लिए आदर्श एयरक्राफ्ट बनाता है। विमान छोटा होने से उसकी मैनुवरिंग में आसानी होती है।
भारतीय राफेल के मुकाबले में चीन का चेंगदू J-20 और पाकिस्‍तान का JF-17 लड़ाकू विमान हैं। मगर ये दोनों ही राफेल के मुकाबले थोड़ा कमतर हैं। चीनी J-20 का मेन रोल स्‍टील्‍थ फाइटर का है, वहीं राफेल को कई कामों में लगाया जा सकता है। J-20 की बेसिक रेंज 1,200 किलोमीटर है जिसे 2,700 किलोमीटर तक बढ़ाया जा सकता है। J-20 की लंबाई 20.3 मीटर से 20.5 मीटर के बीच होती है। इसकी ऊंचाई 4.45 मीटर और विंगस्‍पैन 12.88-13.50 मीटर के बीच है यानी यह राफेल से खासा बड़ा है। पाकिस्‍तान के पास मौजूद JF-17 में चीन ने PF-15 मिसाइलें जोड़ी हैं मगर फिर भी यह राफेल के मुकाबले में कमजोर है।
इन घातक हथियारों से लैस हैं ये राफेल : भारत में जो राफेल आए हैं, उनके साथ Meteor बियांड विजुअल रेंज एयर-टू-एयर मिसाइल, MICA मल्‍टी मिशन एयर-टू-एयर मिसाइल और SCALP डीप-स्‍ट्राइक क्रूज मिसाइल्‍स लगी हैं। इससे भारतीय वायुसेना के जांबाजों को हवा और जमीन पर टारगेट्स को उड़ाने की जबर्दस्‍त क्षमता हासिल हो चुकी है। Meteor मिसाइलें नो-एस्‍केप जोन के साथ आती हैं यानी इनसे बचा नहीं जा सकता। यह फिलहाल मौजूद मीडियम रेंज की एयर-टू-एयर मिसाइलों से तीन गुना ज्‍यादा ताकतवर हैं। इस मिसाइल सिस्‍टम के साथ एक खास रॉकेट मोटर लगा है जो इसे 120 किलोमीटर की रेंज देता है।