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दुष्टों का खात्मा करने के लिए भगवान कृष्ण ने किया कुछ ऐसा जानकर रह जाएंगे हैरान


हिंदू धर्म में श्री हरि ने जब-जब अवतार लिए हैं उनके पीछे कोई न कोई कारण रहा है। वैसे तो उनके हर अवतार के पीछे उनका कोई न कोई उदेश्य रहा। लेकिन ये बात तो सब जानते ही हैं कि जब उन्होंने कृष्ण अवतार लिया तो उसके पीछे लोगों को कंस के अत्याचारों से बचाना था। भगवान ने जब कंस का वध किया तो जरासंध जोकि कंस का ससुर था, वे बहुत क्रोधित हुआ। कृष्ण से बदला लेने के लिए उसने 17 बार मथुरा पर आक्रमण किया था। लेकिन अगर भगवान चाहते तो उसका उसी समय यानि पहले आक्रमण के बाद ही वध कर सकते थे। पंरतु उन्होंने ऐसा नहीं किया। आखिर ऐसी कौन सी वजह थी जिसकी वजह से भगवान ने जरासंध को 17 बार आक्रमण करने का मौका दिया। तो चलिए आज हम आपको इसी से जुड़ी एक कथा के बारे में बताने जा रहे हैं।
जब भगवान ने कंस का वध किया तो इसकी खबर उसके ससुर जरासंध को पता चली तो वह बहुत ही क्रोधित हुआ। उसने कृष्ण और बलराम से बदला लेने के लिए मथुरा पर 17 बार आक्रमण किया। लेकिन जरासंध जब भी आक्रमण करता उसे हार का मुंंह देखना पड़ता।
उसने भी हिम्मत नहीं हारी और वह फिर सेना जुटाता और ऐसे राजाओं को अपने साथ जोड़ता जो श्री कृष्ण के खिलाफ थे और फिर हमला कर देता। लेकिन हर बार ऐसा होता कि श्री कृष्ण पूरी सेना को मार देते लेकिन जरासंध को छोड़ देते। बहुत बार ऐसा होने पर भाई बलराम को यह बात अजीब लगी और एक बार उन्होंने भगवान से पूछ लिया कि ऐसी कौन सी वजह है जो हर बार आप जरासंध को छोड़ देते हो। ऐसे क्यों?
बलराम जी की बात को सुनकर श्री कृष्ण हंसते हुए बोले कि मैं जरासंध को बार-बार जानबूझकर इसलिए छोड़ दे रहा हूं ताकि वह जरासंध पूरी पृथ्वी से दुष्टों को अपने साथ जोड़े और मेरे पास लाता रहे और मैं आसानी से एक ही जगह रहकर धरती के सभी दुष्टों को मारता रहूं। वरना मुझे एक-एक को मारने के लिए पूरी पृष्वी के चक्कर काचने पड़ेगे। दुष्टदलन का मेरा यह कार्य जरासंध ने बहुत आसान कर दिया है। भगवान की इस बात को सुनकर बलराम जी भी मुस्कराने लगे।