
रूस की पहली संभावित कोरोना वायरस वैक्सीन Sputnik V का बड़ी संख्या में ट्रायल अगले हफ्ते से शुरू होगा। इसमें 40 हजार लोग शामिल होंगे। एक विदेशी रिसर्च बॉडी के तत्वाधान में ये टेस्ट होंगे। दरअसल, वैक्सीन को लेकर दुनिया के कई देशों, खासकर पश्चिम ने, रूस पर सवाल खड़े किए हैं और डेटा को लेकर असंतुष्टि जताई है। इस वैक्सीन का नाम दुनिया की पहली आर्टिफिशल सैटलाइट Sputnik पर रखा गया है और रूस के एक्सपर्ट्स ने कहा है कि जैसे तब दुनिया रूस की सफलता से हैरान थी, अब वैक्सीन पर भी उसका शक उसी वजह से है।
WHO को दिया जाएगा डेटा
रूसी डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड के हेड किरिल दिमित्रीव ने बताया है कि वैक्सीन का डेटा इस महीने के आखिर में एक अकैडमिक जर्नल में छपेगा। उन्होंने बताया है कि रूस के बस एक अरब खुराकों का ऑर्डर आ चुका है और उसके पास 50 करोड़ खुराकें बनाने की क्षमता है। वैक्सीन तैयार करने वाले मॉस्को के गमलेया इंस्टिट्यूट के मुताबिक 40 हजार लोगों पर 45 सेंटर्स पर टेस्ट किया जाएगा। दिमित्रीव ने बताया कि WHO को डेटा दिया जाएगा।
Corona Vaccine: इसी महीने मिलने लगेगा कोरोना का टीका? रूस के बाद चीन से भी गुड न्यूज
यूनाइटेड किंगडम में कोरोना वायरस वैक्सीन ट्रायल के लिए करीब एक लाख लोगों ने दिलचस्पी दिखाई है। वैक्सीन टास्क फोर्स के चीफ केट बिंघम ने कहा, “अगर हमें जल्दी वैक्सीन खोजनी है तो अलग-अलग बैकग्राउंड्स के कई और लोगों की जरूरत होगी। रिसर्चर्स ने 65 साल से ज्यादा उम्र वाले अश्वेत, एशियाई और अल्पसंख्यक बैकग्राउंड वाले लोगों से आगे आने की अपील की है।
चीन की वैक्सीन स्पेशलिस्ट कंपनी CanSino Biologics Inc को उसकी कोविड वैक्सीन Ad5-nCOV के लिए पेटेंट अप्रूवल मिल गया है। वहां के सरकारी मीडिया के अनुसार, यह देश की पहली वैक्सीन है जिसे पेटेंट मिला है। CanSino की वैक्सीन सर्दी-जुकाम के वायरस का एक मॉडिफाइड वर्जन है जिसमें नए कोरोना वायरस का जेनेटिक मैटीरियल डाला गया है। ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी-अस्त्राजेनेका की वैक्सीन में भी इसी तरीके का इस्तेमाल किया गया है।
रूसी कोविड-19 वैक्सीन Sputnik V का पहला बैच तैयार हो गया है। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, इस महीने के आखिर तक यह वैक्सीन इस्तेमाल के लिए उपलब्ध होगी। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पहले ही दावा कर चुके हैं कि वैक्सीन पूरी तरह सेफ है और उनकी एक बेटी को भी टीका लगा है। इस टीके के भारत में उत्पादन के लिए कई कंपनियों से बातचीत चल रही है। रशियन डायरेक्ट इनवेस्टमेंट फंड (RDIF) की कई भारतीय फार्मा कंपनियों से बातचीत जारी है। रूस ने पांच देशों में हर साल 500 मिलियन डोज तैयार करने का प्लान बनाया है। भारत के अलावा कोरिया और ब्राजील से भी बात हो रही है।
WHO की चीफ साइंटिस्ट सौम्या स्वामीनाथन ने कहा है कि भारत में वैक्सीन का ट्रायल अभी पहले फेज में ही है। उन्होंने कहा कि वैक्सीन फाइनल होने में कम से कम एक साल लगेगा। उन्होंने चेन्नई में पत्रकारों से कहा, “भारत में अलग-अलग कंपनियां 8 वैक्सीन डेवलप कर रही हैं। आमतौर पर वैक्सीन डेवलप करने में पांच से 10 साल का वक्त लगता है मगर महामारी के चलते अभी कम से कम डेढ़ साल का वक्त लगेगा।” WHO के अनुसार, अभी तक उत्पादन के स्तर पर कोई वैक्सीन नहीं आई है। रूस की वैक्सीन को भी पर्याप्त डेटा न होने के चलते WHO खारिज कर चुका है।
‘कई देशों को ट्रायल में दिलचस्पी’
उन्होंने बताया है कि UAE, भारत, ब्राजील, सऊदी अरब और फिलिपींस समेत कई देश आखिर चरण के ट्रायल में हिस्सा लेने का विचार कर रहे हैं। इसे घरेलू रेग्युलेटरी अप्रूवल मिल चुका है जिसके बाद राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इसे इसे लाइसेंस देने का ऐलान भी कर दिया था। हालांकि, इसे आखिरी चरण के ट्रायल से पहले ही अप्रूवल दिए जाने को लेकर काफी सवाल उठे हैं।
चीन की पहली कोरोना वायरस वैक्सीन Ad5-nCoV को पेटेंट मिल गया है। इस वैक्सीन को चीन की सेना की मेजर जनरल चेन वेई और CanSino Biologics Inc कंपनी के सहयोग से बनाया गया है। चीनी के सरकारी समाचार पत्र ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक इस वैक्सीन को पेटेंट मिल गया है। चीन इस वैक्सीन के तीसरे चरण का दुनिया के कई देशों में ट्रायल कर रहा है और इस साल के आखिर तक इसके बाजार में आने की उम्मीद है। पूरी खबर पढ़ें
रूस ने कोविड-19 वैक्सीन Sputnik V का पहला बैच तैयार कर लिया है। स्वास्थ्य मंत्रालय के हवाले से इंटरफैक्स न्यूज एजेंसी ने यह जानकारी दी। कुछ वैज्ञानिकों को डर है कि वैक्सीन को तेजी से अप्रूवल देकर मॉस्को ने अपनी प्रतिष्ठा दांव पर लगा दी है। Sputnik V प्रॉडक्शन में जाने वाली दुनिया की पहली वैक्सीन है और रूस ने उसे इस महीने के आखिर तक उपलब्ध कराने की बात कही है। आमतौर पर हजारों लोगों पर ट्रायल के बाद टीके को अप्रूवल मिलता है मगर रूस ने पहले ही इसे हरी झंडी दे दी है। वैक्सीन का नाम Sputnik V इसलिए रखा गया है क्योंकि सोवियत यूनियन ने दुनिया का पहला सैटेलाइट भी इसी नाम से अंतरिक्ष में भेजा था। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का दावा है कि वह वैक्सीन पूरी तरह सेफ है और उनकी एक बेटी को भी टीका लगा है।
रूस ने Sputnik V नाम से जो वैक्सीन तैयार की है, उसका उत्पादन भारत में भी हो सकता है। रशियन डायरेक्ट इनवेस्टमेंट फंड (RDIF) के सीईओ किरिल दिमेत्रीव के मुताबिक, भारतीय फार्मास्यूटिकल प्रोड्यूसर्स के साथ बातचीत चल रही है। RDIF ने वैक्सीन की रिसर्च और प्रॉडक्शन को फंड किया है। मॉस्को के गामलेया रिसर्च इंस्टिट्यूट ऑफ एपिडेमियोलजी एंड माइक्रोबॉयलजी ने इसे डेवलप किया है। दिमेत्रीव ने कहा, “भारत और रूस, कई सेक्टर्स में ऐतिहासिक रूप से साझेदार रहे हैं। RDIF भारतीय कंपनियों के साथ 2012 से जुड़ा हुआ है।” उन्होंने कहा कि रूस ने पांच देशों में हर साल 500 मिलियन डोज तैयार करने का प्लान बनाया है। भारत के अलावा कोरिया और ब्राजील से भी बात हो रही है।
रूस का दावा है कि Sputnik V के फेज-1 और फेज-2 ट्रायल में सभी वॉलंटियर्स पर इसका असर हुआ। 21 दिन के भीतर इम्युनिटी डेवलप हो गई। साइंटिस्ट्स के अनुसार, वैक्सीन का दूसरा इंजेक्शन दिए जाने पर इम्युनिटी डबल हो गई। किसी वॉलंटियर पर कोई सीरियस साइड इफेक्ट देखने को नहीं मिला। इस टीके का फेज-3 ट्रायल रूस के अलावा सऊदी अरब, फिलीपींस, ब्राजील और यूएई में होगा।
भारतीय वैज्ञानिक भी कोरोना टीका बनाने में दिन-रात लगे हुए हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे का कहना है कि अगर वे कामयाब होते हैं तो कोविड-19 वॉरियर्स को सबसे पहले टीका लगेगा। उन्होंने कहा, “हमारे वैज्ञानिक इसपर बहुत मेहनत कर रहे हैं। कोविड-19 के खिलाफ तीन वैक्सीन टेस्टिंग के अलग-अलग स्टेज में हैं। और अगर हम वैक्सीन बनाने में सफल होते हैं तो हमारे कोविड वॉरियर्स को सबसे पहले डोज मिलेगी।”
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) और भारत बायोटेक की बनाई Covaxin और जायडस कैडिला की ZyCov-D का इंसानों पर ट्रायल चल रहा है। इसके अलावा यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफर्ड-अस्त्राजेनेका की वैक्सीन के फेज- 2/3 ट्रायल के लिए सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया को इजाजत दी गई है।
अमेरिकी साइंटिस्ट्स ने कम्यूटर स्टिमुलेशंस के जरिए पहले से मौजूद एक दवा में कोरोना वायरस को रोकने की क्षमता पाई है। यह दवा होस्ट सेल्स में कोविड वायरस को रेप्लिकेट होने से रोकती है। साइंस एडवांसेज जर्नल में छपी रिसर्च के अनुसार, Ebselen नाम का केमिकल कम्पाउंड कई ऐंटी-वायरल, ऐंटी इनफ्लैमेटरी, ऐंटी-ऑक्सिडेटिव, बैक्टीरिसाइडल और सेल-प्रोटेक्टिव गुणों से लैस है। इंसानों पर इसका इस्तेमाल भी सेफ रहा है। अब साइंटिस्ट्स कोविड-19 के खिलाफ इस दवा का असर देखेंगे।
अमेरिका के टॉप एक्सपर्ट एंथनी फाउची का मानना है कि इस साल के अंत या अगले साल की शुरुआत तक वैक्सीन मिल जाएगी। उन्होंने कहा कि अगर वैक्सीन आधी प्रभावी भी रही तो भी दुनिया को सालभर के भीतर पटरी पर ले आएगी। फाउची के मुताबिक, लोगों तक टीका पहुंचने में अगले साल तक का वक्त लग सकता है।
पहले अप्रूव करने का है फायदा
दिमित्रीव का कहना है कि जल्दी अप्रूवल देने से ज्यादा खतरे का सामना कर रहे हेल्थ-केयर वर्कर्स जैसे समूहों को फायदा होगा। उन्होंने कहा कि यह ऐच्छिक होगा और जो लोग इसका इस्तेमाल करेंगे उनका बराबर चेक अप भी होगा। उन्होंने बताया है कि ट्रायल का सुपरविजन विदेश का क्लिनिकल रिसर्च संगठन करेगा ताकि डेटा अंतरराष्ट्रीय मानकों में है, यह सुनिश्चित किया जा सके। हालांकि, यह कौन सा संगठन है यह उन्होंने नहीं बताया है।
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