
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने विपक्ष के विरोध के बावजूद सुप्रीम कोर्ट में नए जज की नियुक्ति कर दी है। अमेरिकी मीडिया के अनुसार, ट्रंप ने एमी कोने बैरेट को दिवांगत जस्टिस रूथ बेडर गिंसबर्ग की जगह सुप्रीम कोर्ट का नया जज बनाया है। हालांकि, उनकी नियुक्ति की आधिकारिक घोषणा अभी बाकी है। माना जा रहा है कि आज शाम को उनकी नियुक्ति का आधिकारिक ऐलान कर दिया जाएगा।
ट्रंप ने पहले ही दिया था संकेत
ट्रंप ने शुक्रवार को कहा था कि उन्होंने नाम तय कर लिया है और यह बहुत उत्साहित करने वाला है। इस दौरान उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया और इस प्रकार नाम की घोषणा होने तक इसे एक तरह से रहस्य बना दिया था। अब व्हाइट हाउस ने रिपब्लिकन सांसदों और अन्य सहयोगियों को इस बात के संकेत दिए हैं कि एमी कोने बैरेट को चुना गया है।
अमेरिका में कैसे नियुक्त होते हैं जज
अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में नौ सदस्यीय जजों की नियुक्ति राष्ट्रपति और अमेरिकी सीनेट द्वारा की जाती है। अमेरिकी राष्ट्रपति किसी भी जज को सुप्रीम कोर्ट के लिए नामिनेट करते हैं। जिसके बाद से सीनेट में उसके नाम पर वोटिंग की जाती है। इसमें मिले वोटों से ही तय होता है कि नामांकित व्यक्ति अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट का जज बनेगा कि नहीं। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी रिपब्लिकन हैं और उनकी पार्टी की इस समय सीनेट में बहुमत है। ऐसी स्थिति में वे जिसे चाहें उसे सुप्रीम कोर्ट में जज बना सकते हैं।
जज की नियुक्ति का डेमोक्रेट क्यों कर रहे हैं विरोध
ट्रंप की विरोधी डेमोक्रेटिक पार्टी का कहना है कि राष्ट्रपति चुनाव होने में केवल 2 महीने का समय है। इसलिए, नए जज की नियुक्ति का काम चुनाव के बाद नए राष्ट्रपति को करना चाहिए। डेमोक्रेट का विरोध इसलिए भी है क्योंकि 2016 में जब बराक ओबामा राष्ट्रपति थे तब रिपब्लिकन ने लगभग एक साल तक सुप्रीम कोर्ट में नए जज की नियुक्ति नहीं होने दी। चुनाव बाद जब ट्रंप राष्ट्रपति बने तब उन्होंने नील गोरसच को जज नियुक्त किया था। ऐसा लगता नहीं है कि ट्रंप 2 महीनों का इंतजार करेंगे।
ट्रंप की जज की नियुक्ति का क्या पड़ेगा प्रभाव
ट्रंप अमेरिकी राष्ट्रपति के एक कार्यकाल के दौरान अबतक सुप्रीम कोर्ट में दो जजों की नियुक्ति कर चुके हैं। अगर वह गिंसबर्ग की जगह पर तीसरे जज की नियुक्ति करते हैं तो इसका अमेरिका की राजनीति पर लंबा असर पड़ेगा। अगर कोर्ट में ट्रंप के पक्ष में जजों का झुकाव हो जाता है तो वह अपने सरकारी एजेंडा को तेजी से आगे बढ़ा सकते हैं। ओबामाकेयर, गर्भपात का अधिकार, आव्रजन, टैक्सेशन और क्रिमिनल जस्टिस के मुद्दे पर उनकी पार्टी को आगामी 30 साल के लिए बढ़त मिल जाएगी।
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